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मन बावरा

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मन बावरा बावरा मन, बावरा तन। है आकुल, कुछ व्याकुल। प्रेमी से मिलन को, चली वो ले पवन को। नयनों में लिए, प्रेम के दिए। हृदय का कमल, खिलने को उत्कल। बार बार की रिस, प्रेम की टीस। करे आकुल आज, मन ...

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लेखक के बारे में
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पंकज झा

जन्म लिया था मैथिली धरा में, अवध में शिक्षण व ब्याह हुआ। माया ने राजधानी में जकड़ा था हरियाणा में कार्य निर्वाह हुआ। कला साहित्य में स्नातक हुआ मैं, इतिहास का परास्नातक भी बना। लिखने का शौकीन हूं,पर साहित्य सागर की बूंद को, चातक हूं बना।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Happy {vani} Rajput
    14 जून 2020
    बहुत खूब 👌👌 इस पर भी राय दें "लाकडाउन में बावरा मन", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : https://hindi.pratilipi.com/story/लाकडाउन-में-बावरा-मन-zmcuij05bq35?utm_source=android
  • author
    Kavi Santosh
    13 जून 2020
    बहुत ही सुंदर तरीकेसे
  • author
    Vishnu Jaipuria "Vishu"
    13 जून 2020
    गज़ब का लिखते हैं
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    Happy {vani} Rajput
    14 जून 2020
    बहुत खूब 👌👌 इस पर भी राय दें "लाकडाउन में बावरा मन", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : https://hindi.pratilipi.com/story/लाकडाउन-में-बावरा-मन-zmcuij05bq35?utm_source=android
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    Kavi Santosh
    13 जून 2020
    बहुत ही सुंदर तरीकेसे
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    Vishnu Jaipuria "Vishu"
    13 जून 2020
    गज़ब का लिखते हैं