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मन बैरागी

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मनवा ले उड चल रेन बसेरा अब जग प्यारा ना लगे। तन जागत और मन सोवत है। बिन मन,तन से का होवत है। मन बैरागी बस रोवत है। जैसे भोर से होता अंधेरा अब जग मारा ना लागे। मनवा ले उड चल रेन बसेरा अब जग प्यारा ना ...

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समीक्षा
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    29 जनवरी 2021
    भावुकता बाली अभिव्यक्ति विचारणीय भाव की स्मृतियां
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    29 जनवरी 2021
    भावुकता बाली अभिव्यक्ति विचारणीय भाव की स्मृतियां