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" लाली.. यह गठरी जरा अपने सर पर ऱख लो अब मुझसे और इसका बोझ न उठाया जायेगा"...नानी को जल्दी थी गठरी में बंधी रूई से नयी रजाई बनवाने की ताकि उनकी लाडली नवासी को ठंड न लगे सर्दियों में सो मुझे साथ ...
एम.ए. राजनीतिविज्ञान में करने के बाद हेमवती नन्दन बहुगुणा विश्वविघालय , श्रीनगर गढवाल , एम.के.पी. स्नातकोत्तर कालेज , देहरादून से पत्रकारिता की पढाई करते हुए लेखन की शुरूवात की | वहाँ के स्थानीय समाचार पत्रों में लेखन करते हुए , 1997-1999 में हिन्दी दैनिक समाचार पत्र में फीचर लेखक के रूप में कार्य किया | विवाह उपरान्त विराम हुआ तो फिर से शुरूवात की 2009 में ऑनलाईन लेखन से | ब्लाग, गंगा के करीब , जीवनधारा व इंमोशन से एकबार फिर शुरूवात की विभिन्न साईटस व न्यूज पोर्टल के लिए लेख व समाचार , पत्रिकाओं के लिए कहानी लेखन | लेखन मेरी जिन्दगी का अहम हिस्सा है छोटी सी छोटी बात जीवन की मुझे विचलित कर देती है हजारों प्रश्न मेरे जेहन में घुमते है फिर जन्म होता है मेरी रचनाओं का जिन्हे पाठकों का दुलार मिलता है , उनकी सोच का पता चलता है , लेखन मेरा जनून है हजार बाधाओं के बाद भी मै अपना और अपनी लेखनी का सफर जारी रखती हूं |
एम.ए. राजनीतिविज्ञान में करने के बाद हेमवती नन्दन बहुगुणा विश्वविघालय , श्रीनगर गढवाल , एम.के.पी. स्नातकोत्तर कालेज , देहरादून से पत्रकारिता की पढाई करते हुए लेखन की शुरूवात की | वहाँ के स्थानीय समाचार पत्रों में लेखन करते हुए , 1997-1999 में हिन्दी दैनिक समाचार पत्र में फीचर लेखक के रूप में कार्य किया | विवाह उपरान्त विराम हुआ तो फिर से शुरूवात की 2009 में ऑनलाईन लेखन से | ब्लाग, गंगा के करीब , जीवनधारा व इंमोशन से एकबार फिर शुरूवात की विभिन्न साईटस व न्यूज पोर्टल के लिए लेख व समाचार , पत्रिकाओं के लिए कहानी लेखन | लेखन मेरी जिन्दगी का अहम हिस्सा है छोटी सी छोटी बात जीवन की मुझे विचलित कर देती है हजारों प्रश्न मेरे जेहन में घुमते है फिर जन्म होता है मेरी रचनाओं का जिन्हे पाठकों का दुलार मिलता है , उनकी सोच का पता चलता है , लेखन मेरा जनून है हजार बाधाओं के बाद भी मै अपना और अपनी लेखनी का सफर जारी रखती हूं |
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