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मजबूर शायरी

4.5
16

मजबूरियाँ ।;( १.     पैर कि बेड़ियाँ बन गई है, ये मजबूरियाँ         जवानी ने हमे बर्बाद कर दिया ।         वैसे गुलाम तो हम कल भी ना थे । ...

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कैदी No. 001

चंद लोग पढ़ते हैं, मेरे लिखे को...... ना जाने जज़्बात कौन समझता होगा ?

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rachana
    07 अगस्त 2022
    beautiful 👍👍
  • author
    Ather Mirza
    07 अगस्त 2022
    Umdah
  • author
    sandeep thakur
    07 अगस्त 2022
    nice
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  • author
    Rachana
    07 अगस्त 2022
    beautiful 👍👍
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    Ather Mirza
    07 अगस्त 2022
    Umdah
  • author
    sandeep thakur
    07 अगस्त 2022
    nice