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मैंने जो भी रेखा खींची तेरी तस्वीर बना बैठा

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तू चाहे चंचलता कह ले तू चाहे दुर्बलता कहले दिल ने ज्यों ही मजबूर किया मैं तुझसे प्रीत लगा बैठा . यह प्यार दिए का  तेल नहीं दो चार घड़ी का खेल नहीं यह तो कृपाण की धारा है कोई गुड़िया का खेल नहीं ...

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lokesh kumar
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    05 अप्रैल 2022
    बहुत ही सुंदर .. शानदार अभिव्यक्ति....
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    05 अप्रैल 2022
    बहुत ही सुंदर .. शानदार अभिव्यक्ति....