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मैंने दुआ में बद्दुआ दी ख़ुद को

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मैंने दुआ में बद्दुआ दी ख़ुद को मुहब्बत यूँ ही रहे उससे ये सज़ा दो मुझको ये तबस्सुम छीन लो, छीन लो रोशनी मुझसे मगर हर राह अकेलापन ओ अंधेरा दो मुझको ये ज़िन्दगी तमाम उसकी आदत में गुज़रे इक इंसां ...

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लेखक के बारे में
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Saumya Nayak

“मैं रात की बोलती ख़ामोशी, सुबह की अलसाई नींद हूँ...”✍️

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    19 जून 2020
    बहुत सुन्दर रचना है आपकी।बहुत-बहुत बधाईऔरशुभकामनाएं भीआदरणीया।
  • author
    Anil Sahni "तन्मय"
    14 जून 2020
    बेहतरीन
  • author
    तुषार कश्यप
    14 जून 2020
    👌👏👏👏👏 आगही, इख़लास?
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  • author
    19 जून 2020
    बहुत सुन्दर रचना है आपकी।बहुत-बहुत बधाईऔरशुभकामनाएं भीआदरणीया।
  • author
    Anil Sahni "तन्मय"
    14 जून 2020
    बेहतरीन
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    तुषार कश्यप
    14 जून 2020
    👌👏👏👏👏 आगही, इख़लास?