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मैं तुझे अब भूलना चाहता हूँ

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भीड़ में फिर तुम मुझे नजर अंदाज करती रही, ये पागल निगाहें हर तरफ तुझे ढूढ़ती रही। ऐसा नहीं, मैं आंखों से तेरा जिस्म सहला रहा था, सनम, जमाने पर भरोसा नहीं सो तुझे पहरा दे रहा था। लेकिन इससे ...

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लेखक के बारे में
author
Shikhar Raj Gupta

मैं, ख्वाब और कलम

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Madhuri More
    14 जून 2020
    खूब लिखा है आपने 👌👌👌
  • author
    Cutie Pie
    14 जून 2020
    bahoootttt hi khubsurat👌👌👌👌👌👌
  • author
    Haritima Chandra
    14 जून 2020
    क्या खूब लिखा है राज जी 👍👍👍
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  • author
    Madhuri More
    14 जून 2020
    खूब लिखा है आपने 👌👌👌
  • author
    Cutie Pie
    14 जून 2020
    bahoootttt hi khubsurat👌👌👌👌👌👌
  • author
    Haritima Chandra
    14 जून 2020
    क्या खूब लिखा है राज जी 👍👍👍