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“मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ”- शम्सी मीनाई

3.6
108

मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ तुलसी ने बाल्मिकी ने छोड़ा नहीं है कुछ फिर ऐसा कोई खास कलमवर नहीं हूं मैं लेकिन वतन की खाक से बाहर नहीं हूं मैं कोई पयामे हक़ हो वो सब है मेरे लिए दुनिया का ...

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लेखक के बारे में
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काशु सिंह

"KaShu Singh isn’t just a name – it’s a journey of love, trust, and togetherness. From two hearts to one soul, we share moments, memories, and emotions with you all. Thank you for being a part of our story — your presence makes our world more beautiful."

समीक्षा
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  • author
    02 दिसम्बर 2024
    यह कविता बहुत बेहतरीन है जितनी बार भी पढ़ी मन भरा हि नहीं
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    02 दिसम्बर 2024
    यह कविता बहुत बेहतरीन है जितनी बार भी पढ़ी मन भरा हि नहीं