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मैं नदी हूँ

4.5
389

मैं नदी हूँ अनगिनत हैं रूप मेरे, नाम मेरे। विविध नामों से प्रवाहित मैं धरा पर और उर में, गा रहे हैं कीर्ति मेरी ग्रन्थ सारे एक सुर में। मैं नदी हूँ अनगिनत हैं भक्त मेरे, धाम मेरे। स्नेह ममता, प्यार ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    विकास कुमार
    18 मई 2018
    वाह उत्कृष्ट कृति | मै आपको अपनी रचना "तू कौन " पढ़ने के लिए आमंत्रित करता हूँ , धन्यवाद | https://hindi.pratilipi.com/story/तू-कौन-4GiIbMMDJuGf
  • author
    AnshuPriya Agrawal
    20 जुलाई 2020
    बहुत ही बेहतरीन बहुत ही उम्दा👌👌 नदी की पीड़ा का बहुत ही करुण चित्रण
  • author
    वर्षा ठाकुर
    19 सितम्बर 2018
    नदी की पीड़ा को आपने बहुत ही खूबसूरती से शब्द रूप दिया है । साधुवाद ।
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    विकास कुमार
    18 मई 2018
    वाह उत्कृष्ट कृति | मै आपको अपनी रचना "तू कौन " पढ़ने के लिए आमंत्रित करता हूँ , धन्यवाद | https://hindi.pratilipi.com/story/तू-कौन-4GiIbMMDJuGf
  • author
    AnshuPriya Agrawal
    20 जुलाई 2020
    बहुत ही बेहतरीन बहुत ही उम्दा👌👌 नदी की पीड़ा का बहुत ही करुण चित्रण
  • author
    वर्षा ठाकुर
    19 सितम्बर 2018
    नदी की पीड़ा को आपने बहुत ही खूबसूरती से शब्द रूप दिया है । साधुवाद ।