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मैं ही ना रहा...

4.6
2022

अब लिखने में वो मज़ा वो सुकूँ ना रहा मैं तुझे लिखता था , लेकिन अब मुझमे तू ही ना रहा वो किस्से वो कहानियाँ बेमानी सी लगती है किस्सा सुनाने वाला वहीँ है, अब कोई सुनने वाला ना रहा ' तू आई ही थी, ...

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लेखक के बारे में
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शौकिया शायर

" दिल की तन्हाई को अल्फ़ाज बना लेते है दर्द जब हद से गुजरता है तो लिख लेते हैं " बस छोटा सा प्रयास है, अच्छा बुरा जैसा भी बन जाये शौकिया तौर पर लिख लेते है। और कर देते है पेश ए ख़िदमत आपकी आलोचनाओ के लिए आपकी आलोचना हमारा प्रोत्साहन :-) तबाह है दुनिया नाम कमाने के पीछे और हम है कि शौक़िया शायर की चादर ओढ़ बैठे हैं😎 Give a big thumbs up to the page 👍👍👍 share with friends if you like it👨👩🧓🧒👦👧🧑 https://www.facebook.com/shaukiya.shayar ✍️ सोनू

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rittika Saxena "Chintu"
    08 अगस्त 2018
    दर्द इस क़दर श़दीद रहा बरसों, अब दर्द के होने ना होने का एहसास भी ना रहा.. बेइंतहा ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखी है।
  • author
    11 जुलाई 2019
    बहुत ही सुंदर रचना 👌👍
  • author
    Ramdas Medhekar "'समर्थ'"
    17 अप्रैल 2018
    सुंदर शब्द रचना।
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    Rittika Saxena "Chintu"
    08 अगस्त 2018
    दर्द इस क़दर श़दीद रहा बरसों, अब दर्द के होने ना होने का एहसास भी ना रहा.. बेइंतहा ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखी है।
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    11 जुलाई 2019
    बहुत ही सुंदर रचना 👌👍
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    Ramdas Medhekar "'समर्थ'"
    17 अप्रैल 2018
    सुंदर शब्द रचना।