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मैं बाबा की सोन चिरैया

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सर्वाधिकार सुरक्षित 🙏🙏 मैं बाबा की सोन चिरैया फुदक फुदक

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लेखक के बारे में
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Ashima Dubey

हौसलों से आशिमा रिश्ता पुराना है मुश्किलों का क्या ! उन्हें तो रोज आना है✌ प्रतिलिपि पर प्रकाशित सभी रचनाएँ स्वरचित हैं एवं कापीराइट संलग्न है 🙏🙏

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sandip Sharmaz . Sharmaz "Lucky"
    07 दिसम्बर 2021
    बहुत सुन्दर व मार्मिक सी अभिव्यक्ति।एक एक शब्द सार्थक व भावमय।जय श्रीकृष्ण
  • author
    surya bhushan dubey "भूषण"
    07 दिसम्बर 2021
    बिलकुल सच कहा "आशिमा" आपने, सच में बाबा की सोन चिरैया जब बाबा के घर से जाती है तो अपना चुलबुलापन भी छोड़ जाती है क्योंकि उसे एक नई शाख पर एक नया घोंसला बुनना होता है एक नए जीवन के लिए,👌👌👌👌👌👌👌
  • author
    Manju Joshi
    07 दिसम्बर 2021
    मैं बाबुल की सोन चिरैया ,फुदक फुदक अंगना डोलू। बहुत सुंदर रचना पढ़ते ही आंखों के सामने आंगन में दौड़ती भागती बेटियों के चेहरे आ गए।
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    Sandip Sharmaz . Sharmaz "Lucky"
    07 दिसम्बर 2021
    बहुत सुन्दर व मार्मिक सी अभिव्यक्ति।एक एक शब्द सार्थक व भावमय।जय श्रीकृष्ण
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    surya bhushan dubey "भूषण"
    07 दिसम्बर 2021
    बिलकुल सच कहा "आशिमा" आपने, सच में बाबा की सोन चिरैया जब बाबा के घर से जाती है तो अपना चुलबुलापन भी छोड़ जाती है क्योंकि उसे एक नई शाख पर एक नया घोंसला बुनना होता है एक नए जीवन के लिए,👌👌👌👌👌👌👌
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    Manju Joshi
    07 दिसम्बर 2021
    मैं बाबुल की सोन चिरैया ,फुदक फुदक अंगना डोलू। बहुत सुंदर रचना पढ़ते ही आंखों के सामने आंगन में दौड़ती भागती बेटियों के चेहरे आ गए।