मैं और मेरी खामौशी... बैठे एक सुनसान जहान में जहाँ विरान था पूरा आसमान और हवा की तेज रफ्तार में पत्तों ने भरी एक अवारा ऊड़ान और माटी में बिखरे मेरे सारे अरमान... क्यों हो गई मैं एक ही पल में खूद ...
मैं और मेरी खामौशी... बैठे एक सुनसान जहान में जहाँ विरान था पूरा आसमान और हवा की तेज रफ्तार में पत्तों ने भरी एक अवारा ऊड़ान और माटी में बिखरे मेरे सारे अरमान... क्यों हो गई मैं एक ही पल में खूद ...