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मैं और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय

4.6
277

BHU की तो भैया बात ही है कुछ निराली वर्षों पुराने पेड़ पर जैसे हरियाती डाली जब पहली बार हम पहुँचे बनारस तो सोचा स्टेशन का एक चित्र खीचूं इतने में पीछे से आवाज आई लंका बीचू, लंका बीचू पहली बार सुना तो ...

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लेखक के बारे में

वैसे तो हमें हिंदी साहित्य का 'ह' भी नहीं आता, बस कभी कभार जो दिमाग में आकर दिल तक उतर जाता है, लिख देते हैं...

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    13 अप्रैल 2018
    जबरदस्त मैं कहने से खुद को रोक न सका ऐसे ही लिखते रहिये
  • author
    Manjit Singh
    20 जून 2020
    Rajaji shat shat naman aapne bhartiya sanskriti ki jankari di
  • author
    मुकेश राम नागर
    06 अप्रैल 2018
    सुंदर रचना...दिल से। शेयर की इच्छा है।
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    13 अप्रैल 2018
    जबरदस्त मैं कहने से खुद को रोक न सका ऐसे ही लिखते रहिये
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    Manjit Singh
    20 जून 2020
    Rajaji shat shat naman aapne bhartiya sanskriti ki jankari di
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    मुकेश राम नागर
    06 अप्रैल 2018
    सुंदर रचना...दिल से। शेयर की इच्छा है।