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महंगा तोहफा...

4.5
3229

" भाई राखी बंधवा ली | अब मेरा तोहफा दो | " " हां हां ये पैसे परड़ और तोहफा भी बता क्या लेगी " " नही भाई पैसे नही लूंगी महंगा वाला तोहफा चाहिए " " अच्छा बता क्या चाहिए " ? " रंजू बता रही थी आप ...

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लेखक के बारे में
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धीरज झा

नाम धीरज झा, काम - स्वछंद लेखन (खास कर कहानियां लिखना), खुद की वो बुरी आदत जो सबसे अच्छी लगती है मुझे वो है चोरी करना, लोगों के अहसास को चुरा कर कहानी का रूप दे देना अच्छा लगता है मुझे....किसी का दुःख, किसी की ख़ुशी, अगर मेरी वजह से लोगों तक पहुँच जाये तो बुरा ही क्या है इसमें :) .....इसी आदत ने मुझसे एक कहानी संग्रह लिखवा दिया जिसका नाम है सीट नं 48.... जी ये वही सीट नं 48 कहानी है जिसने मुझे प्रतिलिपि पर पहचान दी... इसके तीन भाग प्रतिलिपि पर हैं और चौथा और अंतिम भाग मेरे द्वारा इसी शीर्षक के साथ लिखी गयी किताब में....आप सब की वजह से हूँ इसीलिए कोशिश करूँगा कि आप सबका साथ हमेशा बना रहे... फेसबुक पर जुड़ें :- https://www.facebook.com/profile.php?id=100030711603945

समीक्षा
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  • author
    RISHABH ANAND
    14 ഏപ്രില്‍ 2017
    आपकी सोच को सलाम 👍👍👌👌👌
  • author
    NELLIE VORA
    24 നവംബര്‍ 2019
    बढ़िया लिखा है। काश ! बहन ऐसा मांगती और भाई उस वचन को निभाता तो कितना अच्छा होता।
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    RISHABH ANAND
    14 ഏപ്രില്‍ 2017
    आपकी सोच को सलाम 👍👍👌👌👌
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    NELLIE VORA
    24 നവംബര്‍ 2019
    बढ़िया लिखा है। काश ! बहन ऐसा मांगती और भाई उस वचन को निभाता तो कितना अच्छा होता।