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माहिया

3.7
168

1. बातें कुछ ऐसी हैं, उसने जो बोलीं सब मिश्री जैसी हैं। 2. प्रियतम जब अपना है, ये मेरा जीवन एक सुन्दर सपना है। 3. तुम मिलने आ जाना, मेरे मन मंदिर एक दीप जला जाना। 4. छोड़ो दुनियांदारी, मन के मिलने से ...

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लेखक के बारे में
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मंजूषा मन

पिता - प्रभुदयाल खरे माता - ऊषा खरे जन्म - 9 सितम्बर 1973, सागर (मध्य प्रदेश) शिक्षा - समाज कार्य में स्नातकोत्तर (MSW) लेखन - कविता, गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे, छंद, माहिया, कहानी-लघुकथा आदि। प्रकाशन - 1. "मैं सागर सी" हाइकु-ताँका संग्रह, पोएट्री बुक बाजार प्रकाशन लखनऊ साझा संकलन 1. "पीर भरा दरिया" संयुक्त माहिया संग्रह। 2. "कलम के कदम" साझा काव्य संकलन। 3. "सत्यम प्रभात" साझा प्रेरक काव्य संग्रह। 4. "अंतर्मन की खोज" साझा प्रेरक कहानी संग्रह। 5. "आधुनिक हिंदी साहित्य की उत्कृष्ट कविताएं" साझा काव्य संग्रह। 6. "अनवरत" साझा काव्य संकलन। पत्र पत्रिकाएँ- सरस्वती सुमन, साहित्य समीर-दस्तक, अभिनव प्रत्यक्ष, हिंदी चेतना, हरिगंधा, उदयन्ति, वेब पत्रिकाओं जैसे अनुभूति, सहज साहित्य, साहित्य सुधा, हिंदी समय, त्रिवेणी, हिंदी हाइकु, पतंग आदि में प्रकाशन सम्मान - 1. "शब्द निष्ठा सम्मान 2016" कविता के लिए, "आचार्य रतनलाल विद्यानुग अखिल भारतीय प्रतियोगिता" अजमेर, राज. 2. "काव्य कृष्ण सम्मान 2016" पोएट्री बुक बाजार प्रकाशन एवं मौलिक काव्य सृजन द्वारा, दिल्ली में। 3. ''राष्ट्र गौरव सम्मान-२०१७ '' पुस्तक "मैं सागर सी" के लिए "साहित्य समीर दस्तक" भोपाल द्वारा सम्प्रति - कार्यक्रम अधिकारी, अम्बुजा सीमेंट फाउंडेशन (सामुदायिक विकास कार्यक्रम)

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Naveen Pawar
    22 जनवरी 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है
  • author
    SMRITI THAKUR
    23 जून 2021
    सुन्दर सृजन
  • author
    Manjit Singh
    12 अप्रैल 2021
    सुंदर रचना
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  • author
    Naveen Pawar
    22 जनवरी 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है
  • author
    SMRITI THAKUR
    23 जून 2021
    सुन्दर सृजन
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    Manjit Singh
    12 अप्रैल 2021
    सुंदर रचना