कविता शीर्षक; महाप्रयाण की ओर मैंने महाप्रयाण की तैयारी, अब कर ली है। वो जीर्ण शीर्ण स्वप्नों की गठरी, कचरे के डिब्बे में फेंक दी है कितने दिनों से थी संभाली साज संजो कर देखीभाली अटारी के कोने ...
अपनी बढ़ती साहित्यिक अभिरुचि के कारण हाल ही मै लेखन कार्य प्रारम्भ किया है।आशा करती हूं कि आप सभी सुधि पाठकों एवं एडिटर्स के आशीर्वाद एवं प्रेरणा से भविष्य में भी लिखना जारी रख सकूंगी।
सारांश
अपनी बढ़ती साहित्यिक अभिरुचि के कारण हाल ही मै लेखन कार्य प्रारम्भ किया है।आशा करती हूं कि आप सभी सुधि पाठकों एवं एडिटर्स के आशीर्वाद एवं प्रेरणा से भविष्य में भी लिखना जारी रख सकूंगी।
रिपोर्ट की समस्या
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