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महामहिम कूपमंडूक

4.7
48
बाल साहित्य

महामहिम कूपमंडूक मेढ़क की तरह उछलपुछल, तू क्या पा जायेगा। पा बहुत कुछ जायेगा, फिर भी मेढ़क कहलायेगा। तू ज्ञानी नहीं, महाअभिमानी, टर्र-टर्र तेरी, आदत पुरानी, हर समय तू बौराता है। कुएँ में ही इतराता ...

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लेखक के बारे में
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Dr. Raj Shekhar

आलोचक, लेखक, बाल साहित्यकार एवं चित्रकार

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Seema Maurya
    10 एप्रिल 2019
    बेहतरीन लेखन....बेहतरीन शब्दों का प्रयोग
  • author
    19 मार्च 2019
    एक दम स्टिक लिखा है कविराज
  • author
    Pooja Verma
    25 एप्रिल 2019
    bahut hi khubsurat
  • author
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  • author
    Seema Maurya
    10 एप्रिल 2019
    बेहतरीन लेखन....बेहतरीन शब्दों का प्रयोग
  • author
    19 मार्च 2019
    एक दम स्टिक लिखा है कविराज
  • author
    Pooja Verma
    25 एप्रिल 2019
    bahut hi khubsurat