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महाभारत की कहानियां (भाग-एक) सत्यवती और ऋषि पराशर की कथा।

4.6
40

अक्सर कौरवों और पांडवों के बीच हुए महाभारत के लिए लोग दुर्योधन और कौरवों के मामा शकुनि को जिम्मेदार मानते है। लेकिन आप महाभारत की कथा पर गौर करेंगे तो आप पाएंगे की इस युद्ध का बीज बहुत पहले ही बो ...

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लेखक के बारे में
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Dharm Pal Singh Rawat

"बारह आने की टोपी", "मेरा प्राथमिक विद्यालय" "ईमानदारी की सजा" और कहानी "अब तो आदत हो गई है" मेरी कहानियां मेरा परिचय हैं। तीन साल पहले दिल की भावनाओं को शब्दों में उकेरना शुरू किया। प्रत्तिलिपि पर मेरी कहानियों के अलावा मेरी रचनाएँ... 1.भरवा रोटी (कहानी संग्रह) 2.विदाई का रुपया(कहानी संग्रह) 3.झुमके(कहानी संग्रह) Amazon पर उपलब्ध 4.वो सांवली कन्नू(कहानी संग्रह) Amazon पर उपलब्ध 5.माधुरी (उपन्यास) Amazon पर उपलब्ध 6.आछेरी परी(उपन्यास) Amazon पर उपलब्ध 7.C/O 56 APO आर्मी पोस्ट ऑफिस (उपन्यास) Amazon पर उपलब्ध मेरी रचनाओं चाहे Fiction हो या Non Fiction सच्चाई का बोध कराती हैं और मेरा ध्येय भी यही है कि समाज को कुछ नया दे सकूं।

समीक्षा
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    कंचन कठैत
    13 जुलाई 2022
    महाभारत का बीज सत्यावती द्वारा बोया गया । बहुत ही बढ़िया 👌👌
  • author
    Meera Sajwan "मानवी"
    12 जुलाई 2022
    बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने। लेकिन इसे प्रेम कहानी तो बिल्कुल ही नहीं कहा जा सकता। प्रेम का अर्थ है त्याग, समर्पण, दया स्वयं से अधिक दूसरे का दुःख -सुख का ध्यान रखना। अपने आप से अधिक साथी के मान-सम्मान का ध्यान रखना न कि केवल अपनी शारीरिक इच्छा की पूर्ति के लिए किसी कुंवारी लड़की का कौमार्य भंग करना वो भी चोरी -छुपे।या फिर उससे विवाह कर अपनी अर्धांगिनी बना लेना चाहिए था।मैं तो जब-जब भी महाभारत के बारे में पढ़ती हूं तो मुझे तो सारा घालमेल ही नज़र आता है। जहां सब अपने ही न जाने किन गैर आदर्शों में बंधकर अपने ही कुल की इज्ज़त को दांव पर लगा सब अन्याय होते देखते रहते हैं। महाभारत में जो स्त्रियों की दुर्दशा दिखाई गई है वह तो कलयुग को भी मात देती है।चाहे वह सत्यवती हो, कुन्ती है, गांधारी हो या द्रोपदी,,,,, कौन से वचन निभाने की बात करते हैं समझ नहीं आता???भाई-भाई का दुश्मन बन कौन सी वीरता,और मर्यादा की बात करते हैं पता नहीं? खैर ,,,,यह इतिहास की बातें हैं कितनी यथार्थ है ईश्वर जाने।
  • author
    12 जुलाई 2022
    भैजी क्या बुन तब 😃 हमारे पोराणिक कथाऔ में ऋषी मुनियों ने इतनी भसड़ मचाई हुई थी कि क्या ही बोलना । जहां देखो अनेतिक संबंध । इसे प्रेम का नाम देना प्रेम का अपमान सा लगता है पराशर ऋषी को तो ईश्वर मे मन लगाना चाहिये था या हमेशा के लिये उसे अपनी अर्धांगनी बना लेते। सत्यवती की जन्म की कहानी भी बड़ी विचित्र है । पता नही कैसा जमाना था 😃
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    कंचन कठैत
    13 जुलाई 2022
    महाभारत का बीज सत्यावती द्वारा बोया गया । बहुत ही बढ़िया 👌👌
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    Meera Sajwan "मानवी"
    12 जुलाई 2022
    बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने। लेकिन इसे प्रेम कहानी तो बिल्कुल ही नहीं कहा जा सकता। प्रेम का अर्थ है त्याग, समर्पण, दया स्वयं से अधिक दूसरे का दुःख -सुख का ध्यान रखना। अपने आप से अधिक साथी के मान-सम्मान का ध्यान रखना न कि केवल अपनी शारीरिक इच्छा की पूर्ति के लिए किसी कुंवारी लड़की का कौमार्य भंग करना वो भी चोरी -छुपे।या फिर उससे विवाह कर अपनी अर्धांगिनी बना लेना चाहिए था।मैं तो जब-जब भी महाभारत के बारे में पढ़ती हूं तो मुझे तो सारा घालमेल ही नज़र आता है। जहां सब अपने ही न जाने किन गैर आदर्शों में बंधकर अपने ही कुल की इज्ज़त को दांव पर लगा सब अन्याय होते देखते रहते हैं। महाभारत में जो स्त्रियों की दुर्दशा दिखाई गई है वह तो कलयुग को भी मात देती है।चाहे वह सत्यवती हो, कुन्ती है, गांधारी हो या द्रोपदी,,,,, कौन से वचन निभाने की बात करते हैं समझ नहीं आता???भाई-भाई का दुश्मन बन कौन सी वीरता,और मर्यादा की बात करते हैं पता नहीं? खैर ,,,,यह इतिहास की बातें हैं कितनी यथार्थ है ईश्वर जाने।
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    12 जुलाई 2022
    भैजी क्या बुन तब 😃 हमारे पोराणिक कथाऔ में ऋषी मुनियों ने इतनी भसड़ मचाई हुई थी कि क्या ही बोलना । जहां देखो अनेतिक संबंध । इसे प्रेम का नाम देना प्रेम का अपमान सा लगता है पराशर ऋषी को तो ईश्वर मे मन लगाना चाहिये था या हमेशा के लिये उसे अपनी अर्धांगनी बना लेते। सत्यवती की जन्म की कहानी भी बड़ी विचित्र है । पता नही कैसा जमाना था 😃