याद आ रहा है मुझे बीता हरपल तुम्हारे साथ आहें भरकर तङपा रहा है महका जो आलम तुम्हारे साथ कैसे भूले ये दिल सनम उन सुनहरी यादों को तुमने लिया था धङकनो के करीब जब मेरे इन थिरकते हाथो को छुआ था तुमने मुझे जब तब थोङी सी सकुचाई मैं दिल में थी उमंगे पर तुमसे कुछ न कह पाई मैं बेखबर थी दुनिया से मैं तुम्हारे प्यार के पहरे में महफूज रही पर मेरे सनम इन बाहों के घेरे मेँ क्या कहूं तुमको साजन कैसे बितते अब पल मेरे दिन आहें भरते निकलते है रातो में सिर्फ सपने तेरे ...
रिपोर्ट की समस्या
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