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मदहोशी

4.0
279

बारिश की बूंदों से मदहोशी सी छा रही है यूं लगता है कि कहीं तू अंगडाईयां लेकर मुझे कहीं बुला रही है मन सरोवर में कुसुम खिल रहे हैं जैसे बरसों बाद हम तुम मिल रहे है नयन तेरे मदहोशी में डुबो देते है अधर ...

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धार्विक नमन

धार्विक नमन

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rakeysh Gautam
    11 जनवरी 2019
    मदहोशी हो तो ऐसी , मंद मंद मुस्काती है
  • author
    Manjit Singh
    25 जुलाई 2020
    theek hai
  • author
    Tarun RAJPut "TkR"
    27 मार्च 2020
    too good
  • author
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  • author
    Rakeysh Gautam
    11 जनवरी 2019
    मदहोशी हो तो ऐसी , मंद मंद मुस्काती है
  • author
    Manjit Singh
    25 जुलाई 2020
    theek hai
  • author
    Tarun RAJPut "TkR"
    27 मार्च 2020
    too good