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मदद करना , पड़ा भारी..🤤

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कल की चर्चा में एक प्रश्न आया था कि क्या आपने कभी किसी अजनबी की मदद की है... और हमने ज़बाब दिया... हां बहुत बार की है...और जब भी हमें लगता है कि हम किसी की मदद कर सकते हैं, तो जरूर करते हैं और क्या ...

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लेखक के बारे में
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Rachna Rathore

यत् सारभूतं तदुपासितव्यं, हंसो यथा क्षीरमिवाम्भुमध्यात्॥ उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः । न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः॥ (अर्थात् : कोई भी काम कड़ी मेहनत के बिना पूरा नहीं किया जा सकता है सिर्फ सोचने भर से कार्य नहीं होते है, उनके लिए प्रयत्न भी करना पड़ता है।) You're most welcome if you want to read my write-ups.

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    20 जनवरी 2021
    😄😄😄😄😄😄😄सही कहा आपने, एक बिछोना हमे भी बनाकर भेजदो हमे नही आता
  • author
    Arti Sneha
    20 जनवरी 2021
    मदद करना सच में भारी ही पड़ गया आपको....
  • author
    AJ
    20 जनवरी 2021
    kbhi kabhi esa bhi hota he
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    20 जनवरी 2021
    😄😄😄😄😄😄😄सही कहा आपने, एक बिछोना हमे भी बनाकर भेजदो हमे नही आता
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    Arti Sneha
    20 जनवरी 2021
    मदद करना सच में भारी ही पड़ गया आपको....
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    AJ
    20 जनवरी 2021
    kbhi kabhi esa bhi hota he