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माचिस की आखिरी तीली

4.6
32999

रात के साढ़े ग्यारह बजे तक कलोनी के चार-पाँच घरों को छोड़कर लगभग पूरी तरह सन्नाटा हो जाता था। कॉलोनी में कुछ ही घर और उनमें कुछ ही कमरे थे जिसमें देर तक लाइट जलती थी। कमरों मे जलती हुई लाइट से लोग यह ...

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लेखक के बारे में

गोरखपुर , सहायक अध्यापक , सोशल मीडिया पर सक्रिय लेखन

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Meenakshi Dubey "वत्सला"
    08 એપ્રિલ 2019
    लाजवाब, बहुत ही अलग लेखन शैली है आपकी, छोटी-छोटी चीजों और छोटी - छोटी घटनाओं का इतना सुंदर और बेहतरीन चित्रण मैंने बहुत कम लोगों की रचनाओं में पढा है। 👏 👏 साधुवाद आपको।
  • author
    सुभाष वर्मा
    16 એપ્રિલ 2019
    संयोगवश मैंने माचिस की आखिरी तिल्ली जलाई हुई थी की मोबाइल पर नोटिफिकेशन आया की "माचिस की आखिरी तिल्ली" और मैंने उत्सुकता बस पढ़ना शुरू किया। आखिरी तिल्ली का महत्व बहुत अच्छे से समझाया । शानदार लेखन
  • author
    16 એપ્રિલ 2019
    अंत तक कहानी ने बाँधे रखा बहुत अच्छी कहानी पढ़ने को मिली बहुत बहुत मुबारक
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    Meenakshi Dubey "वत्सला"
    08 એપ્રિલ 2019
    लाजवाब, बहुत ही अलग लेखन शैली है आपकी, छोटी-छोटी चीजों और छोटी - छोटी घटनाओं का इतना सुंदर और बेहतरीन चित्रण मैंने बहुत कम लोगों की रचनाओं में पढा है। 👏 👏 साधुवाद आपको।
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    सुभाष वर्मा
    16 એપ્રિલ 2019
    संयोगवश मैंने माचिस की आखिरी तिल्ली जलाई हुई थी की मोबाइल पर नोटिफिकेशन आया की "माचिस की आखिरी तिल्ली" और मैंने उत्सुकता बस पढ़ना शुरू किया। आखिरी तिल्ली का महत्व बहुत अच्छे से समझाया । शानदार लेखन
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    16 એપ્રિલ 2019
    अंत तक कहानी ने बाँधे रखा बहुत अच्छी कहानी पढ़ने को मिली बहुत बहुत मुबारक