<p>अफ़साने सुन ..किस्से सुन कर दिल में एक हसरत पाल बैठे हम भी </p>
<p> दुआ कबूल हुई इस कदर कि कलम इश्क़ की दास्तां लिखने लगी ...<br />
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<p>उफ़ खुदाया ...मुझे भी इश्क़ हुआ ...''जैसे मैं ठहरी रही ज़मी चलने लगी ..धड़का ये दिल सांस थमने लगी ! बड़े बड़े इशक़ज़ादो ( साहित्य के ) ने जब अपनी मुहब्बत का इज़हार किया और फिर उनका खूब नाम हुआ इश्क़ के गलियारों में ! मेरी भी तमन्ना हुई की मेरा भी नाम हो ..मेरे इश्क़ को भी सलाम हो ! तो मैंने भी ढूंढ ही लिया किसी को ..बस इतना था कि वो पात्र कोई इंसा नहीं था !मैंने इश्क़ फ़रमाया लफ्ज़ो से ..जो कब से मेरे मन की गहराइयों में सुप्त से पड़े थे ! मैंने लफ्ज़ो को अपनी कलम के सहारे अपने अंतरमन की गहरी खाई से निकालने का प्रयास किया और इसी प्रयास के तहत मेरे लफ्ज़ कहानियों ..कविताओं के रूप में राजस्थान पत्रिका ..सन्मार्ग ...मैथिलिप्रवाहिका ..आगमन ..लेखनी ..प्रवासी दुनिया ..कैच माय पोस्ट ..गुजरात गौरव टाइम्स ..खबरयार और भी कई पत्रिकाओं में अपना अपना स्थान पाते रहे हैं और आगे भी अपना सफर तय कर रहे हैं ! खुदा की इस इनायत का शुक्र मनाते हुए मैं ....</p>
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