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मां की तृषा

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जीवन के आखिरी पड़ाव पर यदि कुछ अपना होता है तो वह है उसका समृद्ध अतीत और उससे जुड़ी स्मृतियां ।

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लेखक के बारे में

दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य आनर्स में स्नातक। डा. हरीसिंह गौर वि.वि.से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि। अभिरुचि -लेखन एवं पठन- पाठन। संप्रति -सेंट मेरीज़ कान्वेंट सी सै.स्कूल में अध्यापन।

समीक्षा
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  • author
    Sandeep Bhatnagar
    14 మార్చి 2019
    माँ तो माँ है आखिर👌👌
  • author
    Damini
    13 మార్చి 2019
    बहुत सुंदर है आपकी रचना
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    Sandeep Bhatnagar
    14 మార్చి 2019
    माँ तो माँ है आखिर👌👌
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    Damini
    13 మార్చి 2019
    बहुत सुंदर है आपकी रचना