मई के महीने में शीत लहर सी दौड़ गई ...अन्दर तक काँप गई वो नहीं वो नहीं हो सकता यहाँ क्या कर रहा है .... क्या कशमकश है जिसकी एक झलक देखने को सारी दोपहर खिड़की पर गुज़ार देती थी लू के थपेड़े भी ठन्डे ...
कहानी बहुत तेज़ गति से चली है, अतः इसमें उस प्रेम का एहसास हो ही नहीं पाया। किरदार से लेखक वो सब नहीं कहवा पाया जो उसने महसूस किया था।
कहानी लघुतर है, अच्छी है, लेखक को साधुवाद !!!
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