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मां तुम भी कुछ कहो ना

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यूं बेहिसाब मोहब्बत देते-देते तुम भी तो थक गई होगी मां, कुछ कहो ना मां

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लेखक के बारे में

पढ़ों तुम,खूब पढ़ो क्योंकि किताबों में हुनर है बहते पानी में आग लगाने का। हाँ पढ़ो तुम दुनियाभर के तमाम साहित्य को, करो श्रृंगार भी साहित्य का क्योंकि इस साहित्यिक श्रृंगार में हुनर है बहुरूपियों को ऊँगलियों पर नचाने का। ✍✍अनुजाराकेश शर्मा ✍✍                                  

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    06 जुलाई 2018
    जीवन की सच्चाई को रेखांकित करती हुई सार्थक रचना है प्रेरणा देती हुई । हार्दिक बधाई शुभकामनाएँ आपको ।
  • author
    kanchan pandey
    30 दिसम्बर 2017
    माँ का बहुत खूबसूरत चित्रण है..ये सिर्फ शब्द नहीं भावनाओं का अथाह सागर है..प्रशंसनीय
  • author
    Swati Bhandari
    30 दिसम्बर 2017
    Very nice Anuja. Such a touching concept....
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    06 जुलाई 2018
    जीवन की सच्चाई को रेखांकित करती हुई सार्थक रचना है प्रेरणा देती हुई । हार्दिक बधाई शुभकामनाएँ आपको ।
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    kanchan pandey
    30 दिसम्बर 2017
    माँ का बहुत खूबसूरत चित्रण है..ये सिर्फ शब्द नहीं भावनाओं का अथाह सागर है..प्रशंसनीय
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    Swati Bhandari
    30 दिसम्बर 2017
    Very nice Anuja. Such a touching concept....