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माँ, खुदा है तू |

4.5
557

अँधेरे में डरते, इन हाथों को, जब थाम लेती तू, लगता है मुझको कि माँ, ख़ुदा है तू | रातो की मेरी न होती सुबह, तारो को भी नींद आती कहाँ, सावन ही आंखो मे आता जब, सुनता न था तेरी लोरी मैं माँ | दूर था ...

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लेखक के बारे में
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અજય ચૌધરી

મનના વિચારો અને ક્યારેક દિલની વાતો ને કાગળ પર લખી રાખવાનો શોખ છે. બસ લોકો તેને ઘણી વાર કવિતા સમજી બેસે છે.

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sakshi "Shiuli"
    15 अगस्त 2022
    behatreen
  • author
    renu kapoor very innovative
    18 जुलाई 2022
    Wow beautiful
  • author
    Geeta Singh
    16 अगस्त 2021
    भावपूर्ण रचना 👏👏
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    Sakshi "Shiuli"
    15 अगस्त 2022
    behatreen
  • author
    renu kapoor very innovative
    18 जुलाई 2022
    Wow beautiful
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    Geeta Singh
    16 अगस्त 2021
    भावपूर्ण रचना 👏👏