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माँ

4.6
539

माँ ♣ माँ। ♣ माँ जब तक तुम थी, सारी दुनिया सुहानी लगती थी। चाराे और ख़ुशहाली लगती थी, सारी दुनिया अपनी सी लगती थी। अब ताे दिल से मुस्कुराने का मन नही करता, हँसने – हसाने का मन नही करता। जाे सपने देखे ...

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लेखक के बारे में
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विमल गांधी
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Nanak Chand
    14 फ़रवरी 2020
    मेरे हंसने में, मेरे रोने में, मेरे खाने-पीने सोने में । बस याद तेरी आती है माँ, बस याद तेरी आती है माँ ।। "नानक"🙏🙏🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻धन्यवाद।।
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    26 फ़रवरी 2020
    अत्यन्त ही हृदयस्पर्शी सुन्दर रचना । साधुवाद
  • author
    Renu Prajapati
    10 जुलाई 2020
    बहुत सुंदर प्रस्तुति
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    Nanak Chand
    14 फ़रवरी 2020
    मेरे हंसने में, मेरे रोने में, मेरे खाने-पीने सोने में । बस याद तेरी आती है माँ, बस याद तेरी आती है माँ ।। "नानक"🙏🙏🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻धन्यवाद।।
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    अरविन्द सिन्हा
    26 फ़रवरी 2020
    अत्यन्त ही हृदयस्पर्शी सुन्दर रचना । साधुवाद
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    Renu Prajapati
    10 जुलाई 2020
    बहुत सुंदर प्रस्तुति