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माँ

4.3
1346

तुम देना साथ जब कोई साथ न हो तुम करना बात जब कोई बात ना हो तुम सुला देना मुझे जब रात ना हो माँ, करता हूँ प्यार तुझे मुझसे कभी आधात न हो (1) तुम थी उस वक्त जब छोटे कदम लरखाराए तुम हर पल ...

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लेखक के बारे में

लेखक वर्तमान समय में एक "रिसर्चर(दिल्ली विश्वविद्यालय ) " का जीवन व्यतीत कर रहा है। वह हमेशा से अपने जीवन के विभिन्न कड़ियों को शब्दों और अनुभव को एक समझ के रूप में व्यक्त करता रहा है। बिहार के एक छोटे से गाँव "रामपुर सरोतर" से निकल कर दिल्ली और पुस्तकों वाली दुनिया में प्रवेश कर , अपना जीवन शब्दों के सहारे जीने की कोशिश कर रहा है। भूगोल के रिसर्चर होने के नाते ज्यादातर रचनाये "जेंडर ,नगरीय, स्थानीय और ग्रामीण -नगर" से सम्बंधित है। प्रतिलिपि में अपनी एक कविता " माँ , माँ मैं आउंगी ना माँ " से प्रारम्भ किया है। दार्शनिक सोच, रचनात्मकता और सामाजिक -सांस्कृतिक मत को पुख्ते तौर पर रखने की कोशिश लेखक करता रहता है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    विकास कुमार
    24 मई 2018
    वाह
  • author
    Jyoti Jyoti
    09 जुलाई 2020
    bbut hi achhi stroy hai
  • author
    07 दिसम्बर 2018
    अति सुंदर . ममतामयी भावनाओं से ओतप्रोत
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    विकास कुमार
    24 मई 2018
    वाह
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    Jyoti Jyoti
    09 जुलाई 2020
    bbut hi achhi stroy hai
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    07 दिसम्बर 2018
    अति सुंदर . ममतामयी भावनाओं से ओतप्रोत