लेखक वर्तमान समय में एक "रिसर्चर(दिल्ली विश्वविद्यालय ) " का जीवन व्यतीत कर रहा है। वह हमेशा से अपने जीवन के विभिन्न कड़ियों को शब्दों और अनुभव को एक समझ के रूप में व्यक्त करता रहा है। बिहार के एक छोटे से गाँव "रामपुर सरोतर" से निकल कर दिल्ली और पुस्तकों वाली दुनिया में प्रवेश कर , अपना जीवन शब्दों के सहारे जीने की कोशिश कर रहा है। भूगोल के रिसर्चर होने के नाते ज्यादातर रचनाये "जेंडर ,नगरीय, स्थानीय और ग्रामीण -नगर" से सम्बंधित है। प्रतिलिपि में अपनी एक कविता " माँ , माँ मैं आउंगी ना माँ " से प्रारम्भ किया है। दार्शनिक सोच, रचनात्मकता और सामाजिक -सांस्कृतिक मत को पुख्ते तौर पर रखने की कोशिश लेखक करता रहता है।
रिपोर्ट की समस्या
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