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माँ-बाबू जी

4.5
370

ये कैसी जोड़ी बनी अखरौट संग काजू जी नरम दिल मेरी माँ कड़क मिजाज बाबू जी रोज सवेरा होते ही उठने का मन न होऐ चादर से मुख को ढक देर तक हम तो सोऐ माँ तो प्यार से जगाऐ भड़क उठते बाबू जी नरम दिल मेरी माँ ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Naveen Pawar
    22 जनवरी 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है
  • author
    Priyanka Yadav
    22 जुलाई 2021
    शब्दो को एक लहजे में बनाये रखना बहुत अच्छा लगा👌👌🙏
  • author
    Balram Soni
    12 जून 2021
    बहुत सुन्दर रचना आपकी जय श्री राधे कृष्णा🙏
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    Naveen Pawar
    22 जनवरी 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है
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    Priyanka Yadav
    22 जुलाई 2021
    शब्दो को एक लहजे में बनाये रखना बहुत अच्छा लगा👌👌🙏
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    Balram Soni
    12 जून 2021
    बहुत सुन्दर रचना आपकी जय श्री राधे कृष्णा🙏