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माँ बाप का नाम

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● माँ- बाप का नाम ‘वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी...’ जगजीत सिंहजी की मखमली आवाज़ में ग़ज़ल सुनते हुए वृद्ध तेजपाल ने महसूस किया, यही तो इस जीवन का निचोड़ है, ‘ज़िंदगी बारिश है और इंसान है कागज़ ...

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लेखक के बारे में

एक कहानी संग्रह 'अंतहीन सफ़र पर' इंक पब्लिकेशन से तथा एक कविता संग्रह ’अच्छे दिनों के इंतज़ार में’ सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशितl पत्र पत्रिकाओं यथा, राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, अहा! जिंदगी, कादम्बिनी , बाल भास्कर आदि में रचनाएं प्रकाशित। अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Mamta Upadhyay
    17 जुलाई 2020
    बहुत बढ़िया ,,आँखों मे आँशु भर आय😢👌👌
  • author
    स्नेहा दुबे
    24 जून 2021
    कड़वा किंतु सत्य । आंसुओं की वजह से लिखना नही हो पा रहा पर लिखे बिना मन मानेगा भी नही सर । सचित्र अगर किसी घटना का वर्णन करने को कहा जाए तो वो ऐसा ही होगा । सच में ही हमारी पीढ़ी इतनी स्वार्थी हो गई है की अपने जन्मदाता के द्वारा झेले गए कष्ट को भी अनदेखा कर देती हैं 😥😥😥😥 साथ ही ये बात भी सत्य है की जो हम बोएंगे वही काटेंगे भी । तेजपाल जैसे अनेक बेटे ऐसे ही हैं जिन्हे उम्र होने के बाद खुद उसी स्थिति से गुजरने पर समझ आता है की उन्होंने क्या खोया । पर अफसोस अब समझ आया भी तो कुछ नही किया जा सकता । समय तो रेत की तरह फिसल गया हाथों से । राधे राधे 🙏 आगे के लिए शुभकामनाएं आपको हमारी ओर से । 🙏
  • author
    Maithili Singh "Anshu"
    18 जुलाई 2021
    कहानी बहुत अच्छी है दिल को छू गई। पर एक चीज खटक गई मां का नाम याद ना रहना सही है। परंतु पिता का नाम हर जगह लगता है यहां तक कि इस वृद्धाश्रम को बनवाने के लिए भी तेजपाल ने जब रजिस्ट्री करवाई होगी तो अपने पिता का नाम उसे देना ही पड़ा होगा। भावुकता लाना अच्छी बात है, पर जमीन से जुड़ी हुई कहानियों में कुछ बातें हम इग्नोर नहीं कर सकते 🙏🙏💐💐
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    Mamta Upadhyay
    17 जुलाई 2020
    बहुत बढ़िया ,,आँखों मे आँशु भर आय😢👌👌
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    स्नेहा दुबे
    24 जून 2021
    कड़वा किंतु सत्य । आंसुओं की वजह से लिखना नही हो पा रहा पर लिखे बिना मन मानेगा भी नही सर । सचित्र अगर किसी घटना का वर्णन करने को कहा जाए तो वो ऐसा ही होगा । सच में ही हमारी पीढ़ी इतनी स्वार्थी हो गई है की अपने जन्मदाता के द्वारा झेले गए कष्ट को भी अनदेखा कर देती हैं 😥😥😥😥 साथ ही ये बात भी सत्य है की जो हम बोएंगे वही काटेंगे भी । तेजपाल जैसे अनेक बेटे ऐसे ही हैं जिन्हे उम्र होने के बाद खुद उसी स्थिति से गुजरने पर समझ आता है की उन्होंने क्या खोया । पर अफसोस अब समझ आया भी तो कुछ नही किया जा सकता । समय तो रेत की तरह फिसल गया हाथों से । राधे राधे 🙏 आगे के लिए शुभकामनाएं आपको हमारी ओर से । 🙏
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    Maithili Singh "Anshu"
    18 जुलाई 2021
    कहानी बहुत अच्छी है दिल को छू गई। पर एक चीज खटक गई मां का नाम याद ना रहना सही है। परंतु पिता का नाम हर जगह लगता है यहां तक कि इस वृद्धाश्रम को बनवाने के लिए भी तेजपाल ने जब रजिस्ट्री करवाई होगी तो अपने पिता का नाम उसे देना ही पड़ा होगा। भावुकता लाना अच्छी बात है, पर जमीन से जुड़ी हुई कहानियों में कुछ बातें हम इग्नोर नहीं कर सकते 🙏🙏💐💐