अब तो लिखने से इस कदर प्यार हो गया है कि जेहन में प्यार से प्यार को प्यार करने की बात सोचने तक की फुरसत नहीं मिलती।एक प्रेमिका या दोस्त का किरदार आखिर क्या है-मेरी सोच के अनुसार- सुख दुख का साथी। ...
अब तो लिखने से इस कदर प्यार हो गया है कि जेहन में प्यार से प्यार को प्यार करने की बात सोचने तक की फुरसत नहीं मिलती।एक प्रेमिका या दोस्त का किरदार आखिर क्या है-मेरी सोच के अनुसार- सुख दुख का साथी। ...