बहुत अच्छे विचार है आपके दी,
लव या arrange मैरिज,,,प्रेम में बड़ी ताकत होती है दी,ऐसा हमे लगता है।जहाँ तक बात है,सफल असफल की,,तो निर्भर करता है,प्रेम है वहाँ या बस दिखवा,, प्रेम तो अनन्त काल से चलता आ रहा है।आज कल लोग कुछ दिन साथ रहे घूमे होटल गए ,,अचानक से ख्याल आया दोनों को एक दूसरे से प्यार है,फिर उनकी शादी जैसे भी कर लेते है,लो हो गयी शादी।फ़िर5 6 महीने बाद सुनते है,शादी में दिक्कत आयी,लोग कहते है अपने से किया तो क्या होगा,माँ बाप की सुनी नही,पर दी असल मे उन लोगो मे अगर सच्चा प्रेम होता तो दिक्कत आती भी तो दोनोँ सम्भाल लेते,प्रेम तो समर्पण माँगता है,नित नए अहसास देता है,जो कभी पुराने नही होते,बस जरूरत हैप्रेम ,जुनून में फर्क समझने की।
वरना जुनून 4 दिन की चांदनी होती है जिसे टूटनी है, प्रेम तो जन्म जन्मांतर तक चलने वाली प्रक्रिया है,जिसजे टूटने का सवाल ही नही।
ये तो सच है arrange मैरिज चलती है,क्योंकि वहाँ कोई भावना हो न हो,लड़के लड़की को ये होता है कि ये परिवार का फ़ैसला है,और लड़कियां अपने पापा का सर कभी भी झुकने नही देना चाहेंगी,,फिर होते होते हो सकता है,प्यार भी हो,पर जिसकी गारेंटी नही,पर हनन जीवन बढ़ता जाता है,
प्रेम करो तो ऐसा करो निभा सको,जुनून से तो परहेज,रही बात घर वालो की अगर प्रेम वाज़िब है तो कभी मना नही करेंगे,और हो सकता है,कुछ लोग मना कर दे,समाज के कारण,तो प्रेम में इतनी शक्ति है,की वो अपने प्रेमी हो खुश देख जी लेगा
ये मेरे विचार थे,
दोनों बुरे नही,निर्भर करता है हम कैसे है साथी कैसा है।
कई बार तो हमारा प्रेमी ही हमारे परिवार की पसंद बन जाता है😂😂😂।
मैंने काफी प्रेम विवाह सफल देखा है दी,और arrange तो ।एक अच्छा महान उदाहरण
माँ पापा।
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
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जिससे लव हो उससे शादी हो ये जरूरी नही आपको प्यार किसी से भी हो सकता है आप अपने प्रेम को अमर कर सकते है जैसे राधा कृष्ण । प्रेम अपने प्रेमी से बलिदान मांगता है जब आप किसी से बिछड़ कर भी प्यार करो तो वो है सच्चा प्यार जैसे गुरु वशिष्ठ ने रामायण में भरत को समझाया था।
i think आप की शादी लव हो या अरैंज आप को हमेशा अपने जीवन साथी का ध्यान रखना चाहिए और जहाँ तक संभव हो शादी जैसे फैसलो को पूरे परिवार के साथ मिलकर लेना चाहिए ।
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सुपरफैन
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बहुत सुंदर विवेचना की है आपने !
हमारे लिए तो यह समय , परिस्तिथि और बदलते समय के साथ अलग अलग दृष्टिकोण का मामला लगता है क्योंकि आज का प्रोफेशनल बंदा अक्सर अपनी पत्नी को भी उसी तरह की पसंद करता है , परिवार अक्सर घरेलु टाइप की , दूसरी बात अब परिवार भी इतनी तेज़ी से बिखर रहे है कि अरेंज मैरिज वाले भी same problem से ग्रस्त होते जा रहे है । मसलन परिवार कही रहता है और नवदम्पत्ति कही और , न किसी के पास इतना समय रह गया है समस्याएं सुलझाने का , अब आप चाहे पहले जीवनसाथी को समझ लो फिर शादी करो या पहले शादी करो फिर समझो !
बस प्यार मतलब अँधा प्यार और आकर्षण का मामला न हो क्योंकि अक्सर यही मामले सफल नहीं हो पाते क्योंकि ये युगल हक़ीक़त की पथरीली ज़मीन को देखे बिना ही ऊँची उड़ान भरते है फिर जब ज़िम्मेदारियाँ पड़ती है तो सारे पंख टूट जाते है और धड़ाम से नीचे गिर कर ऐसा टूटते है कि जोड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है कभी कभी जीवन का संकट भी पैदा होता है ।
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लव या arrange मैरिज,,,प्रेम में बड़ी ताकत होती है दी,ऐसा हमे लगता है।जहाँ तक बात है,सफल असफल की,,तो निर्भर करता है,प्रेम है वहाँ या बस दिखवा,, प्रेम तो अनन्त काल से चलता आ रहा है।आज कल लोग कुछ दिन साथ रहे घूमे होटल गए ,,अचानक से ख्याल आया दोनों को एक दूसरे से प्यार है,फिर उनकी शादी जैसे भी कर लेते है,लो हो गयी शादी।फ़िर5 6 महीने बाद सुनते है,शादी में दिक्कत आयी,लोग कहते है अपने से किया तो क्या होगा,माँ बाप की सुनी नही,पर दी असल मे उन लोगो मे अगर सच्चा प्रेम होता तो दिक्कत आती भी तो दोनोँ सम्भाल लेते,प्रेम तो समर्पण माँगता है,नित नए अहसास देता है,जो कभी पुराने नही होते,बस जरूरत हैप्रेम ,जुनून में फर्क समझने की।
वरना जुनून 4 दिन की चांदनी होती है जिसे टूटनी है, प्रेम तो जन्म जन्मांतर तक चलने वाली प्रक्रिया है,जिसजे टूटने का सवाल ही नही।
ये तो सच है arrange मैरिज चलती है,क्योंकि वहाँ कोई भावना हो न हो,लड़के लड़की को ये होता है कि ये परिवार का फ़ैसला है,और लड़कियां अपने पापा का सर कभी भी झुकने नही देना चाहेंगी,,फिर होते होते हो सकता है,प्यार भी हो,पर जिसकी गारेंटी नही,पर हनन जीवन बढ़ता जाता है,
प्रेम करो तो ऐसा करो निभा सको,जुनून से तो परहेज,रही बात घर वालो की अगर प्रेम वाज़िब है तो कभी मना नही करेंगे,और हो सकता है,कुछ लोग मना कर दे,समाज के कारण,तो प्रेम में इतनी शक्ति है,की वो अपने प्रेमी हो खुश देख जी लेगा
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दोनों बुरे नही,निर्भर करता है हम कैसे है साथी कैसा है।
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i think आप की शादी लव हो या अरैंज आप को हमेशा अपने जीवन साथी का ध्यान रखना चाहिए और जहाँ तक संभव हो शादी जैसे फैसलो को पूरे परिवार के साथ मिलकर लेना चाहिए ।
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बस प्यार मतलब अँधा प्यार और आकर्षण का मामला न हो क्योंकि अक्सर यही मामले सफल नहीं हो पाते क्योंकि ये युगल हक़ीक़त की पथरीली ज़मीन को देखे बिना ही ऊँची उड़ान भरते है फिर जब ज़िम्मेदारियाँ पड़ती है तो सारे पंख टूट जाते है और धड़ाम से नीचे गिर कर ऐसा टूटते है कि जोड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है कभी कभी जीवन का संकट भी पैदा होता है ।
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