ये एक उदास नमीं भरा दिन था. आसमान में हलकी बदरी थी. हवा बिलकुल भी नहीं चल रही थी. मैं और शुभम क्लास बंक करके डिपार्टमेंट के पीछे वाले पार्क में बैठे इनसाइट्स की एसटी सॉल्व कर रहे थे. थोड़ी देर में ...
अपने और अपने आसपास के बीते हुवे पलों को कहानी और कविताओं का रूप देने की एक अदना कोशिश करता हूँ. अब तक के खुद को उपन्यास "dehaati ladke" में पूरा उतार दिया है. बाकी का मैं बन रहा हूँ...
अपने और अपने आसपास के बीते हुवे पलों को कहानी और कविताओं का रूप देने की एक अदना कोशिश करता हूँ. अब तक के खुद को उपन्यास "dehaati ladke" में पूरा उतार दिया है. बाकी का मैं बन रहा हूँ...
रिपोर्ट की समस्या
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