“क्वारंटाइन” कितना भारी भरकम सा शब्द लगता है न? और“लॉकडाउन” सुना भी मैने शायद पहली बार ही था, जब कोरोना के बारे में लोगों को सतर्क और जागरूक करने के लिये हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी नें राष्ट्र को ...
नमस्कार दोस्तों🙏🏼
मैं प्रियंका😊एक होममेकर हूं...मैं लेखन में नयी हूं और थोड़ा बहुत लिखने की कोशिश करती हूं...उम्मीद करती हूं कि मेरी रचनाओं पर आप सब अपनी प्रतिक्रिया जरूर देंगे जिससे मुझे प्रेरणा मिले और मैं ज़्यादा अच्छा लिख सकूं🙏🏼🙂
सारांश
नमस्कार दोस्तों🙏🏼
मैं प्रियंका😊एक होममेकर हूं...मैं लेखन में नयी हूं और थोड़ा बहुत लिखने की कोशिश करती हूं...उम्मीद करती हूं कि मेरी रचनाओं पर आप सब अपनी प्रतिक्रिया जरूर देंगे जिससे मुझे प्रेरणा मिले और मैं ज़्यादा अच्छा लिख सकूं🙏🏼🙂
बचपन की यादें ताजा कर दी।
वास्तव में बचपन तो बचपन होता है। न किसी ने बैर न किसी की फ़िक्र। अपने ही अंदाज में रहते थे हम। बचपन की याद आती है तो आँखों में आंसुओ की सरिता बहती है। सोचते थे हम जल्दी बड़े हो जाए अब सोच रहे है हमें वापस बचपन मिल जाए।
खैर!... बचपन और बुढ़ापा समान होते है बुढ़ापे में भी इंसान को बचपन वाली हरकत करने की सूझती है।
शानदार रचना।
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बचपन की यादें ताजा कर दी।
वास्तव में बचपन तो बचपन होता है। न किसी ने बैर न किसी की फ़िक्र। अपने ही अंदाज में रहते थे हम। बचपन की याद आती है तो आँखों में आंसुओ की सरिता बहती है। सोचते थे हम जल्दी बड़े हो जाए अब सोच रहे है हमें वापस बचपन मिल जाए।
खैर!... बचपन और बुढ़ापा समान होते है बुढ़ापे में भी इंसान को बचपन वाली हरकत करने की सूझती है।
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