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लॉकडाउन और “कौआ उड़-चिड़िया उड़”...एक खेल बचपन का

4.5
245

“क्वारंटाइन” कितना भारी भरकम सा शब्द लगता है न? और“लॉकडाउन” सुना भी मैने शायद पहली बार ही था, जब कोरोना के बारे में लोगों को सतर्क और जागरूक करने के लिये हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी नें राष्ट्र को ...

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लेखक के बारे में

नमस्कार दोस्तों🙏🏼 मैं प्रियंका😊एक होममेकर हूं...मैं लेखन में नयी हूं और थोड़ा बहुत लिखने की कोशिश करती हूं...उम्मीद करती हूं कि मेरी रचनाओं पर आप सब अपनी प्रतिक्रिया जरूर देंगे जिससे मुझे प्रेरणा मिले और मैं ज़्यादा अच्छा लिख सकूं🙏🏼🙂

समीक्षा
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  • author
    ARVIND KALMA
    21 अप्रैल 2020
    बचपन की यादें ताजा कर दी। वास्तव में बचपन तो बचपन होता है। न किसी ने बैर न किसी की फ़िक्र। अपने ही अंदाज में रहते थे हम। बचपन की याद आती है तो आँखों में आंसुओ की सरिता बहती है। सोचते थे हम जल्दी बड़े हो जाए अब सोच रहे है हमें वापस बचपन मिल जाए। खैर!... बचपन और बुढ़ापा समान होते है बुढ़ापे में भी इंसान को बचपन वाली हरकत करने की सूझती है। शानदार रचना।
  • author
    Barkha Verma
    21 अप्रैल 2020
    ha yad Aaya mom hme sulati thi but me or meri bhn chupke se uthkr bahar aakr stapu khelte the,acha blog Achi slah
  • author
    Mamta Suwasiya
    24 अप्रैल 2020
    Bachpan ke yaadon ko yaad karanevaale ke liye thank you very nice
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    ARVIND KALMA
    21 अप्रैल 2020
    बचपन की यादें ताजा कर दी। वास्तव में बचपन तो बचपन होता है। न किसी ने बैर न किसी की फ़िक्र। अपने ही अंदाज में रहते थे हम। बचपन की याद आती है तो आँखों में आंसुओ की सरिता बहती है। सोचते थे हम जल्दी बड़े हो जाए अब सोच रहे है हमें वापस बचपन मिल जाए। खैर!... बचपन और बुढ़ापा समान होते है बुढ़ापे में भी इंसान को बचपन वाली हरकत करने की सूझती है। शानदार रचना।
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    Barkha Verma
    21 अप्रैल 2020
    ha yad Aaya mom hme sulati thi but me or meri bhn chupke se uthkr bahar aakr stapu khelte the,acha blog Achi slah
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    Mamta Suwasiya
    24 अप्रैल 2020
    Bachpan ke yaadon ko yaad karanevaale ke liye thank you very nice