सुख की ऐसी कोई शर्त नहीं होती, हाँ लोभ की जरूर होती है ! लोभ कहता है पहले हम तब संसार !! पर सच तो यही है कि ऐसे लोग फिर भी सुखी नहीं रह पाते और सुख पाने व झपटने की कोशिश मे वो अपना एक-एक पल का सुख खो देते हैं । एक क्षण होता है जब ब्यक्ति सोचता है कि - मंजिल पर पहुँच जाऊँ तो मेरे सारे सपने- पुरे हो जाएं ! पर मंजिल पर पहुंचते हीं इतना अभिमान मे चूर हो जाता है कि- उसके सारे सपने बदले की ख्वाहिश और श्रेष्ठ बनने के चक्कर मे टुटने लगते हैं ! ऐसे मे वो सदैव मानसिक असंतुलन की स्थिति से गुजंरते रहता है ...
रिपोर्ट की समस्या
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