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लाईट हाउस सिनेमा

4.5
1035

<p>लाइट हॉउस में मैटिनी शो के लिये बेतरह भीड़ है. &lsquo;मुकद्दर का सिंकंदर&rsquo; लगी है. कस्बे वाले इन्तजार कर रहे थे. रेडियो और फ़िल्मी पत्रिकाओं ने फिल्म के हिट होने की सूचना देकर लोगों की ...

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लेखक के बारे में
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शेखर मल्लिक

जन्म – 18 दिसम्बर, 1978 लिलुआ (हावड़ा), प. बंगाल में हिंदी में स्नातकोत्तर, इग्नू, नई दिल्ली से हंस, उदघोष, अन्यथा, संवेद वाराणसी, जनविकल्प साहित्य वार्षिकी, विदूषक, प्रगतिशील वसुधा, पंख, परिकथा, पाखी, जनपथ, निशांत, शुक्रवार, दूसरी परम्परा, निकट, लमही, कथादेश, मंतव्य, संवेद, रचना समय कहानी विशेषांक, पक्षधर, बनास जन, वागर्थ आदि में कहानियाँ प्रकाशित. कुछ कविताओं का प्रकाशन संकल्य, समकालीन कविता, प्रगतिशील वसुधा, दैनिक हिंदुस्तान, समयांतर, वागर्थ, प्रभात खबर आदि में. नेट पत्रिका “नव्या”,“कृत्या” (अंक – जुलाई 2010 में कवितायेँ), अनुभूति डॉट कॉम, हिंदी युग्म (कहानी कलश), हिंदी कुंज, हिंदी नेस्ट, समयांतर, ईसाहित्य, हिंदी समय डॉट कॉम, स्टोरी मिरर, हमरंग, प्रतिलिपि डॉट कॉम, गद्यकोश डॉट ऑर्गआदि पर रचनाएँ प्रकाशित. कवितायें ‘स्त्री होकर सवाल करती है’ (फेसबुक कवियों की कविताओं के संग्रह, बोधि प्रकाशन, जयपुर) में संकलित कहानी “कोख बनाम पेट”तेलगू में अनूदित, “डायनमारी” कहानी पर दिल्ली विश्विद्यालय के छात्र द्वारा पर्चा. यह कहानी दिल्ली विश्विद्यालय के प्राध्यापक डॉ. केदार प्रसाद मीणा के संपादकत्व में आये संग्रह ‘आदिवासी कहानियाँ’ – (अलख प्रकाशन, जयपुर) संस्करण 2013 और “मांदर पर थाप - आदिवासी जीवन की कहानियाँ” (अनुज्ञा बुक्स, नई दिल्ली | सम्पा. अजय महताब) 2018 में भी संकलित. साथ ही इसी कहानी का “पथ” नाट्य दल, जमशेदपुर द्वारा एकल व एकाँकी मंचन और फ़िल्मांकन के लिए प्रयासरत. कालिंदी विश्वविद्यालय, दिल्ली के युवाओं (रक्स) द्वारा “अस्वीकार” कहानी से प्रेरित नुक्कड़ नाट्य (“द रेप विक्टिम”) का मंचन. “आदिवासी कथा जगत” (अनुज्ञा बुक्स, नई दिल्ली | संपादक डॉ. केदार प्रसाद मीणा) में “रे अबुआ बुरु” कहानी संकलित “हंस” पत्रिका में “प्रेमचंद कथा सम्मान” में ‘अस्वीकार’ कहानी प्रथम स्थान पर चयनित –2004 स्पेनिन सृजन सम्मान, राँची – 2007 हिंदी युग्म वेबसाईट पर ‘यूनिकवि प्रतियोगिता’, जुलाई 2010 में कविता पुरस्कृत दो कहानी संग्रह “अस्वीकार और अन्य कहानियाँ” नई किताब (अद्वैत प्रकाशन), दिल्ली “कस्बाई औरतों के किस्से” अनुज्ञा बुक्स, नई दिल्ली. उपन्यास “कालचिती” आर्य प्रकाशन मंडल (किताबघर प्रकाशन), नई दिल्ली से एक लघु उपन्यास नेशनल पब्लिशिंग, जयपुर से जल्द प्रकाश्य। प्रलेसं, इप्टा और अपने महाविद्यालय के लिये कुछ नुक्कड़ नाटकों का लेखन व निर्देशन। प्रलेसं व इप्टा से संबद्ध और स्वतंत्र लेखन. इप्टा के लिए गायन. घाटशिला में ज्योति मल्लिक के साथ मिलकर प्रलेसं और इप्टा की शरुआत की। “प्रभात खबर” के साहित्य पृष्ठ ‘साहित्य सोपान’ के एक अंक (12.08.2016) का अतिथि संपादन।

समीक्षा
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  • author
    नीरज झा
    08 मार्च 2019
    आप यूँ ही लिखते रहिए...प्रतिलिपि पे बहुत कम रचनाएं ही पढ़ने लायक होती हैं... बहुत ढूँढने के बाद कुछ अच्छा पढ़ने को मिला..जो आपका ही लिखा हुआ था..."लाईट हाउस सिनेमा"
  • author
    Vineet Nigam
    04 जुलाई 2017
    achcha likha hai jyadatar shahron ke single screen cinemahall ka yahi haal hai
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    नीरज झा
    08 मार्च 2019
    आप यूँ ही लिखते रहिए...प्रतिलिपि पे बहुत कम रचनाएं ही पढ़ने लायक होती हैं... बहुत ढूँढने के बाद कुछ अच्छा पढ़ने को मिला..जो आपका ही लिखा हुआ था..."लाईट हाउस सिनेमा"
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    Vineet Nigam
    04 जुलाई 2017
    achcha likha hai jyadatar shahron ke single screen cinemahall ka yahi haal hai