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लेखन

4.8
8

लेखन आज लिखने की सीमाओं पर सोचता हूँ तो लेखन का दायरा बहुत सिमटता नजर आने लगता है। समाज और समाज के परिवेश की कमियों को प्रस्तुत कर समाज में सुधार लाने की कोशिश करना लेखन का दायित्व भी होता है ...

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लेखक के बारे में
author
shailesh srivastava

जिंदगी अनेक रंगो की एक खूबसूरत रंगोली है, हर रंग को जिए, इसे बदरंग न होने दे.. 1 धुंधली रेखा 2. 1922 भास्कर की प्रभा 3. कालचक्र और 4. तृप्ति। मेरे इन धारावाहिक को पढ़ कर और अपनी अनमोल समीक्षा दे कर मुझको अनुगृहीत करने का कष्ट करें 🙏🙏

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Surbhi Gupta
    01 नवम्बर 2023
    आप सही कह रहे हैं मैं भी सहमत हूं इस बात से मैंने भी समाज में फैली बुराइयों को लिखती तो‌ हूं कहानियों में पर मनोरंजन के साथ, ताकी किसी को बुरा भी ना लगे और बात भी लोगों तक पहुंच जाएं, मेरी कहानी तलाश भी उसी को लेकर है,, उसमें भी बहुत सारे मुद्दे उठाए हैं मैंने पर सीधे लिखने से डर लगता है इसलिए घुमा फिरा कर लिख रही हूं,,, ऊपर से प्रतिलिपि पर लोग पढ़ने की जगह बिना पढ़े कमेंट करते हैं तो और भी गुस्सा आता है, मेरा मन तो बहुत खट्टा हो गया है,, पर फिर भी लिख तो रही ही‌ हूं,
  • author
    Vijaykant Verma
    01 नवम्बर 2023
    ✍️सही लिखा है आपने। लेकिन जिनका खर्च कुछ हद तक लेखन पर निर्भर है, उनके आगे सबसे बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है, कि वो क्या करें..! और पाठक अच्छे भी बहुत है, लेकिन अच्छी रचनाओं को हाईलाइट करने का सिस्टम लगभग खत्म होता जा रहा है। और यही कारण है कि हमारी कुछ बहुत अच्छी रचनाओं पर पाठक बिल्कुल नहीं है, इसलिए उस दिशा में लेखनी स्टॉप हो गई है। और यह एक गंभीर समस्या है..!!
  • author
    Poonam Srivastava
    04 नवम्बर 2023
    बंदिशे तो हर जगह है, लेकिन जीना पड़ता है, जितना जी सकें जीना होगा 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💗💗💗💗💝
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    Surbhi Gupta
    01 नवम्बर 2023
    आप सही कह रहे हैं मैं भी सहमत हूं इस बात से मैंने भी समाज में फैली बुराइयों को लिखती तो‌ हूं कहानियों में पर मनोरंजन के साथ, ताकी किसी को बुरा भी ना लगे और बात भी लोगों तक पहुंच जाएं, मेरी कहानी तलाश भी उसी को लेकर है,, उसमें भी बहुत सारे मुद्दे उठाए हैं मैंने पर सीधे लिखने से डर लगता है इसलिए घुमा फिरा कर लिख रही हूं,,, ऊपर से प्रतिलिपि पर लोग पढ़ने की जगह बिना पढ़े कमेंट करते हैं तो और भी गुस्सा आता है, मेरा मन तो बहुत खट्टा हो गया है,, पर फिर भी लिख तो रही ही‌ हूं,
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    Vijaykant Verma
    01 नवम्बर 2023
    ✍️सही लिखा है आपने। लेकिन जिनका खर्च कुछ हद तक लेखन पर निर्भर है, उनके आगे सबसे बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है, कि वो क्या करें..! और पाठक अच्छे भी बहुत है, लेकिन अच्छी रचनाओं को हाईलाइट करने का सिस्टम लगभग खत्म होता जा रहा है। और यही कारण है कि हमारी कुछ बहुत अच्छी रचनाओं पर पाठक बिल्कुल नहीं है, इसलिए उस दिशा में लेखनी स्टॉप हो गई है। और यह एक गंभीर समस्या है..!!
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    Poonam Srivastava
    04 नवम्बर 2023
    बंदिशे तो हर जगह है, लेकिन जीना पड़ता है, जितना जी सकें जीना होगा 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💗💗💗💗💝