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लेखा जोखा

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लेखा-जोखा नियति न देखे रंक न देखे राव सबको एक समान नैसर्गिक साधन का वर्ताव कोई कम व अधिक न पाता वायु नीर पावक नभ धरती सबको अपना अंश बनाता इन्हीं से सृजित सबकी काया मध्य इसी के सारी माया इसका साथ ...

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लेखक के बारे में
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Dr. Maniram Verma
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dr Sushil Chandra Gupta "Gupta"
    13 जुलाई 2022
    सच कहा आपने अपनी कविता में ईश्वर के लिए सभी सामान है सुंदर कविता बधाई
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    Dr Sushil Chandra Gupta "Gupta"
    13 जुलाई 2022
    सच कहा आपने अपनी कविता में ईश्वर के लिए सभी सामान है सुंदर कविता बधाई