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लहजे फकत रसीले थे। लोग अंदर से जहरीले थे।।

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रस्सी जैसी जिंदगी है, तने तने से हालत है एक सिरे पे ख्वाइस, दूजे पे औकात...... बिगड़ गए थे इश्क में हम थोड़े बहुत दिल टूटा तो फिर दिल तोड़े बहुत... अब अंत में एक है ...

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लेखक के बारे में
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Anshu yadav

hii dear friends support me please..

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    23 जुलाई 2022
    वाह लाजवाब।
  • author
    28 जुलाई 2022
    बाह प्रेम की भावना मे रस्सी भले ही जल गयी मगर प्रेम नहीं जला,, वो रस्सी की ऐंठन मे अभी भी मौजूद है,,, बहुत सुन्दर लिखा आपने,, पसंद आई मुझे,, बधाइयाँ आपको और हार्दिक शुभकामनाएं भी आदरणीया.
  • author
    0=[]:::::::AK:::::::[]=0
    25 जुलाई 2022
    wah..... ✍️✍️✍️✍️✍️✍️👌👌👌👌👌👌🌹🌹👌👌👌👌👌👌
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    23 जुलाई 2022
    वाह लाजवाब।
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    28 जुलाई 2022
    बाह प्रेम की भावना मे रस्सी भले ही जल गयी मगर प्रेम नहीं जला,, वो रस्सी की ऐंठन मे अभी भी मौजूद है,,, बहुत सुन्दर लिखा आपने,, पसंद आई मुझे,, बधाइयाँ आपको और हार्दिक शुभकामनाएं भी आदरणीया.
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    0=[]:::::::AK:::::::[]=0
    25 जुलाई 2022
    wah..... ✍️✍️✍️✍️✍️✍️👌👌👌👌👌👌🌹🌹👌👌👌👌👌👌