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लौट के बुद्धू घर को आये

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आज वही हुआ जिसका मुझे डर था। जिस चौराहे पर रुका वहीं उसका घर था। सोचा मास्क लगा कर निकल लूँ वहाँ से। कोई पूछेगा तो बता देंगे यहीं तक सफर था। इससे पहले कि मैं निकल पाता वहाँ से। रास्ता कोई बताये ...

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लेखक के बारे में

सीधा हूँ सरल हूँ तुम्हारे लिए गरल हूँ। ..................... सावधान !!! मेरी सभी रचनाएं मौलिक हैं । मेरी इज़ाज़त के बगैर इसे नकल या कॉपी करना कानून अपराध होगा। PGDJAM Master in journalism and mass communication NET JRF BEd विभिन्न अखबारों और पत्रिकाओं में रचनाये प्रकाशित पहला प्रकाशित उपन्यास " कॉल गर्ल"। दूसरा अप्रकाशित उपन्यास " अघोरी " ( प्रेस में )

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sneh Lata Pandey "स्नेह"
    16 जनवरी 2021
    मोहल्ले के बाजार में आप लोगों को दोबारा मिला दिया बुद्धू लौट के घर पर आ गए बहुत ही बेहतरीन रचना
  • author
    Anita Yadav
    16 जनवरी 2021
    वाह अर्जुन जी गजब क्या कविता लिखी है आपने बहुत बहुत ही शानदार बहुत ही अच्छा लिखते हैं आप
  • author
    Saroj Mago "NUVASTRO"
    16 जनवरी 2021
    वाह बहुत सुंदर. चलो वापिस तो आ गये बहुत खूब👌👌👌👌👌👌👌
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    Sneh Lata Pandey "स्नेह"
    16 जनवरी 2021
    मोहल्ले के बाजार में आप लोगों को दोबारा मिला दिया बुद्धू लौट के घर पर आ गए बहुत ही बेहतरीन रचना
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    Anita Yadav
    16 जनवरी 2021
    वाह अर्जुन जी गजब क्या कविता लिखी है आपने बहुत बहुत ही शानदार बहुत ही अच्छा लिखते हैं आप
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    Saroj Mago "NUVASTRO"
    16 जनवरी 2021
    वाह बहुत सुंदर. चलो वापिस तो आ गये बहुत खूब👌👌👌👌👌👌👌