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लौट आओ

4.6
371

तुम ऐसे अचानक चले जाओगे हम सब को रोता छोड़कर यह न पता था .....न जाने कैसे रह पाते होंगे तुम अकेले ....एक पल भी तो न रहते थे तुम मेरे बिना ....आज दस दिन हो चुके हैं तुम्हे गए , पर एक दिन क्या , एक ...

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लेखक के बारे में
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मंजू सिंह
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Alka Singh
    20 अगस्त 2020
    बस नाम अलग हैं,वरना लगता है कि आपने सबकी तरफ से ये लिखा है
  • author
    Shweta88888ū87 Bhatia
    17 नवम्बर 2019
    I also loved my cousin's dog buzo veryyy much. Aisa lagta hai uske jaane pe jo mere mann ka haal tha wahi padh rahi thi is rachna me aur roye ja rahi thi. very beautiful and emotional.
  • author
    Padma Singh
    16 जुलाई 2019
    ,मेरा भविष्य दर्शाती कहानी,११ महीने का है मेरा शीरो, कहानी के मुखपृष्ठ जैसा।सोच कर ही दिन दृवित हो गया।😭
  • author
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    Alka Singh
    20 अगस्त 2020
    बस नाम अलग हैं,वरना लगता है कि आपने सबकी तरफ से ये लिखा है
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    Shweta88888ū87 Bhatia
    17 नवम्बर 2019
    I also loved my cousin's dog buzo veryyy much. Aisa lagta hai uske jaane pe jo mere mann ka haal tha wahi padh rahi thi is rachna me aur roye ja rahi thi. very beautiful and emotional.
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    Padma Singh
    16 जुलाई 2019
    ,मेरा भविष्य दर्शाती कहानी,११ महीने का है मेरा शीरो, कहानी के मुखपृष्ठ जैसा।सोच कर ही दिन दृवित हो गया।😭