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आख़िरी स्वेटर

4.5
10368

मेरी इस हालत को देखकर माँ-पापा मुझे अपने साथ शहर ले आए| वहां भी मैं अपने उस स्वेटर को लिए रहती|माँ मेरे लिए सबकुछ करतीं ताकि मैं ठीक हो जाऊं| पर वक़्त के इस घांव को भरने में न जाने कितने साल लग गये|

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    23 ஏப்ரல் 2018
    सार्थक एवं सकारात्मक सोच की प्रेरणा देती हुई कहानी । मन को भीगो दे। पुरानी यादों को ताजा कर गई । हार्दिक बधाई शुभकामनाएँ आपको । अति सुंदर अभिव्यक्ति की है आपने ।
  • author
    23 ஏப்ரல் 2018
    वाह, सौम्या जी । लाजवाब कहानी लिखी है आपने।। पर वो प्यार भरी थपकी झूठी नही बल्कि सच्ची थी पर हाँ, साथ मे दिया जाने वाला वो दिलासा "कुछ नही हुआ है तुम्हें" झूठा था। और कहानियों की प्रतीक्षा में, - स्वयं राज
  • author
    Dabloo Rai
    20 ஜூலை 2018
    हृदय को छूने वाली कहानी लिखी है आपने ।।
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    23 ஏப்ரல் 2018
    सार्थक एवं सकारात्मक सोच की प्रेरणा देती हुई कहानी । मन को भीगो दे। पुरानी यादों को ताजा कर गई । हार्दिक बधाई शुभकामनाएँ आपको । अति सुंदर अभिव्यक्ति की है आपने ।
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    23 ஏப்ரல் 2018
    वाह, सौम्या जी । लाजवाब कहानी लिखी है आपने।। पर वो प्यार भरी थपकी झूठी नही बल्कि सच्ची थी पर हाँ, साथ मे दिया जाने वाला वो दिलासा "कुछ नही हुआ है तुम्हें" झूठा था। और कहानियों की प्रतीक्षा में, - स्वयं राज
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    Dabloo Rai
    20 ஜூலை 2018
    हृदय को छूने वाली कहानी लिखी है आपने ।।