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लंगोटिया यार

4.9
17

सोना चांदी रुपए पैसे को, नहीं मानता दौलत मैं । शून्य से शिखर तक आया, सखा तेरी बदौलत मैं।। मांगो, शिव गर आकर मेरी , आखिरी इच्छा पूछें । लंगोटिया के संग जीने की, कुछ दिन और मोहलत दे।। कभी पिता सी ...

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लेखक के बारे में
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GANESH VYAS

Lives in delhi now... Be positive always.. मेरे खून में है किसानी धरा है मेरी राजस्थानी ।। बात तिरंगे की आए तो मैं इक फौजी हिंदुस्तानी।। Insta id- 1. Stockmoverstech 2. Vyasgwrites वही लिखता हूं जो महसूस करता हूं। जब भी वक्त मिलता है लिखने का प्रयास करता हूं। प्रतिलिपि पर बहुत प्यार मिला। आप सभी का दिल से शुक्रिया।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Mamta Bharat
    27 डिसेंबर 2020
    Very emotional.🙏🙏
  • author
    Madhavi Sharma "Aparajita"
    27 डिसेंबर 2020
    बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति आपकी ,,,,,, आपका और आपके दोस्त का साथ हमेशा बना रहे👌👌
  • author
    रेखा सोनी
    27 डिसेंबर 2020
    बचपन की दोस्ती भुलाए नहीं भूलती... अच्छी कविता है जय श्री राम😊🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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    Mamta Bharat
    27 डिसेंबर 2020
    Very emotional.🙏🙏
  • author
    Madhavi Sharma "Aparajita"
    27 डिसेंबर 2020
    बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति आपकी ,,,,,, आपका और आपके दोस्त का साथ हमेशा बना रहे👌👌
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    रेखा सोनी
    27 डिसेंबर 2020
    बचपन की दोस्ती भुलाए नहीं भूलती... अच्छी कविता है जय श्री राम😊🙏🏻🙏🏻🙏🏻