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लल्ला

4.4
2140

SC/ST act संसोधन पर लल्ला की मौत !!!

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लेखक के बारे में
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अंक मौर्या

भावों को शब्दों में पिरोने की कोशिश करता हूं 🙏😊

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    07 अक्टूबर 2018
    मित्रवर श्री अंक मौर्या जी,बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद।आपने देश में व्याप्त वर्तमान ज्वलंत समस्या को बहुत मार्मिक शब्दों में पथभ्रष्ट नौजवानों और उन्हेें हिंसा के लिये प्ररित करने वाले नेताओं को करारा जवाब दिया है।अपनी राजनैतिक जिम्मेवारी भूलकर केवल सत्तासुख के लालची लोगों के मुंह पर जोरदार तमाचा है।आपका आक्रोश एवं क्रोध उचित है। आपकी अन्य रचनाओं में विचारों की गहनता और प्यार से लबालब भरे दिल का परिचय मिलता है।पुनः बधाई।
  • author
    प्रिया सिंह "Life🧬"
    12 अप्रैल 2018
    सही लिखा है। वो लोग जो ऐसे हिंसक कामों में लगे होते हैं उनको ये तक पता नहीं होता वो लड़ क्यों रहे हैं किसके लिए लड़ रहे हैं। जो इंसान ही नहीं वो हक़ की बात भी कैसे करता है। जो दूसरों की जिंदगी की कीमत नहीं समझता उसको जीने का कैसा हक़ ?
  • author
    नेहा शर्मा "'नेह'"
    03 जुलाई 2019
    आज के ज्वलंत विषय पर बहुत ही मार्मिक कहानी। समाज का घृणित रूप सामने लाने का साहसी प्रयास करने के लिए साधुवाद। समसामयिक परिस्थितियों को शब्दों में ढालने के लिए आप बधाई के पात्र हैं।
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    07 अक्टूबर 2018
    मित्रवर श्री अंक मौर्या जी,बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद।आपने देश में व्याप्त वर्तमान ज्वलंत समस्या को बहुत मार्मिक शब्दों में पथभ्रष्ट नौजवानों और उन्हेें हिंसा के लिये प्ररित करने वाले नेताओं को करारा जवाब दिया है।अपनी राजनैतिक जिम्मेवारी भूलकर केवल सत्तासुख के लालची लोगों के मुंह पर जोरदार तमाचा है।आपका आक्रोश एवं क्रोध उचित है। आपकी अन्य रचनाओं में विचारों की गहनता और प्यार से लबालब भरे दिल का परिचय मिलता है।पुनः बधाई।
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    प्रिया सिंह "Life🧬"
    12 अप्रैल 2018
    सही लिखा है। वो लोग जो ऐसे हिंसक कामों में लगे होते हैं उनको ये तक पता नहीं होता वो लड़ क्यों रहे हैं किसके लिए लड़ रहे हैं। जो इंसान ही नहीं वो हक़ की बात भी कैसे करता है। जो दूसरों की जिंदगी की कीमत नहीं समझता उसको जीने का कैसा हक़ ?
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    नेहा शर्मा "'नेह'"
    03 जुलाई 2019
    आज के ज्वलंत विषय पर बहुत ही मार्मिक कहानी। समाज का घृणित रूप सामने लाने का साहसी प्रयास करने के लिए साधुवाद। समसामयिक परिस्थितियों को शब्दों में ढालने के लिए आप बधाई के पात्र हैं।