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लालची

4.1
5178

अब जल्दी किजिये पिताजी बैंक जाने के लिये लेट हो जाओगे.. थोड़े ऊंचे स्वर में रमेश बोला। बेटा, मैं सोच रहा हू इस बार पेंशन की रकम में से कुछ निकालकर ब्राह्मण को भोज करवा लू तुम्हारी मां की पुण्यतिथी आ ...

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लेखक के बारे में
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एकता सारदा

नाम - एकता सारदा पता - सूरत (गुजरात) सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित सांझा काव्य संग्रह - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने(2014) [email protected]

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    suman
    24 दिसम्बर 2018
    लालची बेटे के सोच पर बेहतरीन कटाक्ष ऐसे बहुत से बेटे हैं समाज में।
  • author
    Mohit Awasthi
    31 मई 2015
    चार पंकित्यों में कितना बड़ा प्रश्न उठा दिया आपने 
  • author
    Ashok Burman
    27 मई 2021
    छोटी सी रचना में पूरा विश्लेषण।
  • author
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  • author
    suman
    24 दिसम्बर 2018
    लालची बेटे के सोच पर बेहतरीन कटाक्ष ऐसे बहुत से बेटे हैं समाज में।
  • author
    Mohit Awasthi
    31 मई 2015
    चार पंकित्यों में कितना बड़ा प्रश्न उठा दिया आपने 
  • author
    Ashok Burman
    27 मई 2021
    छोटी सी रचना में पूरा विश्लेषण।