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लाल केसर

4.1
415

वे लिख रहे थे चिनारों पर प्रेम, बूढ़ी घाटियों में बो रहे थे स्नेह। उतरती साँझ का पल्लू थाम, वे जा छिपते थे शिकारों में। थिरकती डल झील के पानी से, ढक लेते थे अपने उघड़े बदन। झगड़ते थे सबसे मीठा सेब ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anup Kumar
    05 జూన్ 2020
    नीलम मलकानिया के द्धारा रचित कविता "लाल केसर"शीर्षक से कविता का सार समझा जा सकता है. कवित्रयी ने कश्मीर की प्राकृतिक छटा का बड़ा ही सुंदरता से की है.लगता है उन्हें कश्मीर से अधिक लगाव रहा हो.मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं. शेष। फिर कभी. अनुप कुमार, वन विभाग, राँची..878 935 9681
  • author
    Manjit Singh
    23 మార్చి 2022
    कश्मीर घाटी,कश्मीरी लोगों की पीड़ा दर्शाती सार्थक कविता,नीलम जी आपको शत शत नमन
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    24 అక్టోబరు 2015
    राष्ट्र भाषा का पूर्ण अनुसरण न करती एक अत्यंत सारहीन व अप्रासांगिक कविता है ।
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    Anup Kumar
    05 జూన్ 2020
    नीलम मलकानिया के द्धारा रचित कविता "लाल केसर"शीर्षक से कविता का सार समझा जा सकता है. कवित्रयी ने कश्मीर की प्राकृतिक छटा का बड़ा ही सुंदरता से की है.लगता है उन्हें कश्मीर से अधिक लगाव रहा हो.मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं. शेष। फिर कभी. अनुप कुमार, वन विभाग, राँची..878 935 9681
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    Manjit Singh
    23 మార్చి 2022
    कश्मीर घाटी,कश्मीरी लोगों की पीड़ा दर्शाती सार्थक कविता,नीलम जी आपको शत शत नमन
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    Satyendra Kumar Upadhyay
    24 అక్టోబరు 2015
    राष्ट्र भाषा का पूर्ण अनुसरण न करती एक अत्यंत सारहीन व अप्रासांगिक कविता है ।