वे लिख रहे थे चिनारों पर प्रेम, बूढ़ी घाटियों में बो रहे थे स्नेह। उतरती साँझ का पल्लू थाम, वे जा छिपते थे शिकारों में। थिरकती डल झील के पानी से, ढक लेते थे अपने उघड़े बदन। झगड़ते थे सबसे मीठा सेब ...
नीलम मलकानिया के द्धारा रचित कविता "लाल केसर"शीर्षक से कविता का सार समझा जा सकता है. कवित्रयी ने कश्मीर की प्राकृतिक छटा का बड़ा ही सुंदरता से की है.लगता है उन्हें कश्मीर से अधिक लगाव रहा हो.मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं.
शेष। फिर कभी.
अनुप कुमार, वन विभाग, राँची..878 935 9681
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नीलम मलकानिया के द्धारा रचित कविता "लाल केसर"शीर्षक से कविता का सार समझा जा सकता है. कवित्रयी ने कश्मीर की प्राकृतिक छटा का बड़ा ही सुंदरता से की है.लगता है उन्हें कश्मीर से अधिक लगाव रहा हो.मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं.
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