हम अपने लक्ष्य से दूर हटते जा रहे हैं। देश की आजादी का सवाल हमारे सामने है। कुछ समय पहले अधिकांश कार्यकर्ताओं को रात-दिन उसी की धुन थी, परंतु इस समय वे शिथिल हैं। शिथिल ही हों, सो नहीं, क्योंकि अधिक परिश्रम के साथ कुछ समय तक काम कर लेने के पश्चात्, कुछ शिथिल पड़ जाना स्वाभाविक-सा है, किंतु वे भ्रम में भी पड़े हुए हैं, क्योंकि देश की स्वाधीनता के लक्ष्य की ओर, उनका ध्यान इस समय उतना नहीं है और उनमें से बहुतों की शक्तियाँ इधर-उधर और किसी-किसी दिशा में तो हानिकारक दिशाओं तक में लग रही हैं। ...
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