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जेल

3.3
8916

" पिता जी ! जिद न कीजिये . गाड़ी है न मेरे पास . आपको पता है न कि खाने कि पूरी तैयारी मम्मी जी ने कर रखी है . उनके आने पर परोस मैं दूंगीं . आप जान लीजिये कि मैं इस समय खुद को नहीं रोकूँगीं . ...

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समीक्षा
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  • author
    16 सितम्बर 2017
    कभी बड़ो की बात भी मान लेना चाहिए .. कभी छोटे सही नहीं होते ,तो कभी बड़े गलत नहीं होते ..?
  • author
    priyanka singh
    23 नवम्बर 2018
    itna bada bhi kyun likha...sasural ek jail likh dete to padhne me time waste nhi hota...kya soch k likhte ho ye sab...kuchchh bhi
  • author
    ROHIT KAUSHAL
    22 जुलाई 2020
    आप इस कहानी के माध्यम से क्या कहना चाहते है कुछ समझ नहीं आया.
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    16 सितम्बर 2017
    कभी बड़ो की बात भी मान लेना चाहिए .. कभी छोटे सही नहीं होते ,तो कभी बड़े गलत नहीं होते ..?
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    priyanka singh
    23 नवम्बर 2018
    itna bada bhi kyun likha...sasural ek jail likh dete to padhne me time waste nhi hota...kya soch k likhte ho ye sab...kuchchh bhi
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    ROHIT KAUSHAL
    22 जुलाई 2020
    आप इस कहानी के माध्यम से क्या कहना चाहते है कुछ समझ नहीं आया.