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लफ़्ज़ों की प्यास

4.4
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लफ़्ज़ों की प्यास गले की प्यास नही होती ..कि इंसान उससे मर जाये ? मगर रूह तो मर जाती है न? मैं बस उस मरती हुई रूह को जिंदा करना चाहती थी ..उसकी तद्फीन {अंतिम संस्कार } नही | मगर .कोई मर जाये तो तद्फीन ...

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लेखक के बारे में
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रिफ़अत शाहीन

रिफ़अत शाहीन का बचपन ही साहित्यिक परिवेश में बीता, नाना उर्दू के प्रख्यात साहित्यकार रहे , पिता प्रख्यात शायर.. माँ और नानी भी लेखन से जुडी रहीं । ऐसे में लेखिका ने बालवय में ही लिखना शुरू कर दिया । 10 वर्ष की आयु में लेखिका की पहली पुस्तक...बूझो तो जाने ..हिंदी उर्दू दोनों भाषा में प्रकाशित हुई। फिर तो लेखन को एक गति मिल गई ...18 वर्ष की आयु में एक पुस्तक., . औरत कमज़ोर नही, प्रकाशित हुई ..फिर लेखिका रेडियो और दूरदर्शन से जुड़ीं, थियेटर और फ़िल्म लेखन भी जारी है, अम्रर उजाला पत्र में भी लिखतीं रही, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लिखा , वर्तमान में एक अख़बार में ब्यूरो होने के साथ,साथ एक मासिक पत्रिका की सम्पादक, और मान्यता प्राप्त पत्रकार भी है । उर्दू अकेडमी उत्तर प्रदेश से एक नॉवेल...एक और अमीरन ..2016 में प्रकाशित हुई, एक नॉवेल ...गुलनार लोधी प्रेस में है, हिंदी संस्थान की पत्रिका साहित्य भारती में भी रचनाये प्रकाशित होती रहती है, सरस्वती सुमन, सृजन सरोकार, साहित्य सृजन ,और अन्य मासिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं,।

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    srj darbhangiya
    29 दिसम्बर 2018
    ki bs itna hi kahunga .. pyar to bs kitabo me hi reh gya hai agr Jo m nhi smjha tumhare shayrana alfaz, to tumne bhi kaha muzhe apna smjha, wo Gair ko apna sb kuch Diya, or m tumse bepnah mohobbat krne ke Baad bhi tadpa, ab kis hak se wapis aaye ho mere pass jb us wakhat tumne muzhe dohkha Dena hi mulazim samjha, mana muzhe mohobbat e Izhar krna nhi aata mana muzhe alfazo se pyar krna nhi aata, mana muzhe nhi aata kisi Ko pl bhr me samet Lena , pr agr Jo ye lafz muzhse meri mohobbat se bewafayi krwa de tumse, to wo khuda muzhe tumse door krne ki Rehmat bakshe... ..... #S_R_j_Darbhangiya# . sorry agr kuch glt likh Diya ho to muzhe maaf krna pr apki story padh kr us kirdar pr itna ghussa aaya ki m khud Ko rok nhi paya.
  • author
    Dr-Manoj Kumar
    20 दिसम्बर 2017
    "उपवस्त्र" के बाद रिफ़अत जी की एक और बेहतरीन कहानी "लफ़्ज़ों की प्यास" पढ़ी मैंने। रिफ़अत जी कहानी को बड़े अच्छे तरीके से सेट और बिल्डअप करती हैं । पिछली कहानी ट्रेन के एक सफ़र में और ये कहानी रेडिओ पर प्रसारित नायिका की अपनी ही एक नज़्म के साथ। एक कलाकार के लिए, चाहे वो कलमकार हो, संगीतकार हो या चित्रकार, उसकी कला की सराहना बहुत जरूरी है, ..... इसकी भी एक प्यास होती है, जिसे लेखिका ने इस कहानी की नायिका के माध्यम से बखूबी प्रस्तुत किया है। नायिका (एक शायरा) की अतृप्त "लफ़्ज़ों की प्यास" और उसके स्त्री-सुलभ कोमल मनोभावों के संतुलित मिश्रण के कारण यह कहानी बड़ी ही रोचक एवं हृदयस्पर्शी बन पड़ी है। नायिका के पति की खामोश मुहब्बत, उसके प्रेमी की फरेबी अदा और नायिका के मन में चल रहे अंतर्द्वंद तीनों का ही बड़ा सजीव चित्रण किया है लेखिका ने। एक और सफल कहानी के लिए रिफ़अत जी को बहुत बहुत बधाई।
  • author
    18 जून 2019
    समीक्षा वो भी, इतने बेहतरीन तरीके से लिखी मोहब्बत और लफ्जों की प्यास भरी जिंदगी की समीक्षा पर, मुमकिन नहीं है कुछ भी कहना, अद्वितीय शैली और शानदार प्रस्तुति, फकत इतना ही कि " समेटा है सारा अंबर ही, छोटे से आंचल में, नदी की चंचलता ही नहीं , सागर की गहराई और मोतियों से भरी ख़ामोशी भी है तेरे दामन में "
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    srj darbhangiya
    29 दिसम्बर 2018
    ki bs itna hi kahunga .. pyar to bs kitabo me hi reh gya hai agr Jo m nhi smjha tumhare shayrana alfaz, to tumne bhi kaha muzhe apna smjha, wo Gair ko apna sb kuch Diya, or m tumse bepnah mohobbat krne ke Baad bhi tadpa, ab kis hak se wapis aaye ho mere pass jb us wakhat tumne muzhe dohkha Dena hi mulazim samjha, mana muzhe mohobbat e Izhar krna nhi aata mana muzhe alfazo se pyar krna nhi aata, mana muzhe nhi aata kisi Ko pl bhr me samet Lena , pr agr Jo ye lafz muzhse meri mohobbat se bewafayi krwa de tumse, to wo khuda muzhe tumse door krne ki Rehmat bakshe... ..... #S_R_j_Darbhangiya# . sorry agr kuch glt likh Diya ho to muzhe maaf krna pr apki story padh kr us kirdar pr itna ghussa aaya ki m khud Ko rok nhi paya.
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    Dr-Manoj Kumar
    20 दिसम्बर 2017
    "उपवस्त्र" के बाद रिफ़अत जी की एक और बेहतरीन कहानी "लफ़्ज़ों की प्यास" पढ़ी मैंने। रिफ़अत जी कहानी को बड़े अच्छे तरीके से सेट और बिल्डअप करती हैं । पिछली कहानी ट्रेन के एक सफ़र में और ये कहानी रेडिओ पर प्रसारित नायिका की अपनी ही एक नज़्म के साथ। एक कलाकार के लिए, चाहे वो कलमकार हो, संगीतकार हो या चित्रकार, उसकी कला की सराहना बहुत जरूरी है, ..... इसकी भी एक प्यास होती है, जिसे लेखिका ने इस कहानी की नायिका के माध्यम से बखूबी प्रस्तुत किया है। नायिका (एक शायरा) की अतृप्त "लफ़्ज़ों की प्यास" और उसके स्त्री-सुलभ कोमल मनोभावों के संतुलित मिश्रण के कारण यह कहानी बड़ी ही रोचक एवं हृदयस्पर्शी बन पड़ी है। नायिका के पति की खामोश मुहब्बत, उसके प्रेमी की फरेबी अदा और नायिका के मन में चल रहे अंतर्द्वंद तीनों का ही बड़ा सजीव चित्रण किया है लेखिका ने। एक और सफल कहानी के लिए रिफ़अत जी को बहुत बहुत बधाई।
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    18 जून 2019
    समीक्षा वो भी, इतने बेहतरीन तरीके से लिखी मोहब्बत और लफ्जों की प्यास भरी जिंदगी की समीक्षा पर, मुमकिन नहीं है कुछ भी कहना, अद्वितीय शैली और शानदार प्रस्तुति, फकत इतना ही कि " समेटा है सारा अंबर ही, छोटे से आंचल में, नदी की चंचलता ही नहीं , सागर की गहराई और मोतियों से भरी ख़ामोशी भी है तेरे दामन में "